नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का कहना है कि भारत ने विश्व को आध्यात्मिकता का अमूल्य योगदान दिया है। समय-समय पर महान आध्यात्मिक विभूतियों ने नैतिकता, करुणा और परोपकार का संदेश फैलाया है। राष्ट्रपति बुधवार को पुट्टपर्थी (आंध्र प्रदेश) में श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग के 42वें दीक्षांत समारोह में पहुंची थी। यहां छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बातें कहीं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि श्री सत्य साईं बाबा का ऐसा महान व्यक्तित्व था, जिन्होंने पुट्टपर्थी के क्षेत्र को पवित्र किया। उनके आशीर्वाद से लाखों लोग लाभान्वित होते रहे हैं और आगे भी होते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसी शख्सियत की शिक्षा की अवधारणा हमारी महान परंपराओं को जीवंत बनाती है। राष्ट्रपति ने कहा कि जीवन मूल्यों और नैतिकता की शिक्षा ही वास्तविक शिक्षा है। प्रत्येक छात्र में सत्य, अच्छा आचरण, शांति, स्नेह और अहिंसा के मूल्यों को विकसित करना समग्र शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग मानवीय और आध्यात्मिक मूल्यों को प्रमुखता से महत्व देता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रति संस्थान का समग्र दृष्टिकोण बेहद प्रभावशाली है। शिक्षा के स्थान पर ज्ञान की गहरी समझ की अवधारणा अत्यंत उपयोगी एवं सार्थक है। राष्ट्रपति ने कहा कि इस संस्थान ने शिक्षा प्रक्रिया में शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक आयामों को शामिल किया है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस संस्थान के छात्र पेशेवर रूप में मजबूत, सामाजिक रूप से जिम्मेदार और आध्यात्मिक रूप से जागरूक व्यक्तित्व विकसित करने में सफल होंगे। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे श्री सत्य साईं बाबा के मूल्यों और शिक्षाओं का प्रसार करें और आधुनिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास के उदाहरण पेश करें।
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