बच्चों संग बच्चे बने दादा-दादी, नाना-नानी, रोचक गेम्स खेले और सुनाई कहानी

पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय-4 में मनाया गया दादा-दादी, नाना-नानी दिवस। घर में बड़े-बुजुर्गों का होना परिवार को पूरा तो करता है ही। वे प्रेरक कहानियों, सबक और संस्कारों से सींच कर नई पीढ़ी को विरासत में अपने जीवन का अनमोल तजुर्बा सौंपते हैं। बच्चों को देखकर मानों उनका बचपन भी लौट आता है। कुछ ऐसा ही दृश्य मंगलवार को गोपालपुर स्थित पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 4 में देखने को मिला। यहां बच्चो के साथ उनके दादा दादी और नाना नानी भी पहुंचे थे। पूरे दिन वे उनके साथ रहे। रोचक गेम्स खेले, कहानियां सुनाई और ढेर सारी मस्ती की। बच्चों ने भी नृत्य, संगीत की सुंदर प्रस्तुति देकर बुजुर्गों को भाव विभोर कर दिया।

दादा- दादी, नाना -नानी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात कक्षा दूसरी और तीसरी के छात्र छात्राओं ने नृत्य के माध्यम से समस्त अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती संध्या लकड़ा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया व विद्यार्थियों को अपने दादा -दादी, नाना- नानी के साथ समय व्यतीत करने के लिए प्रेरित किया। विद्यालय में सभी बच्चों के द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम की श्रृंखला में एक हमारे दादाजी कविता ने हंसाया तो, ये तो सच है की भगवान है जैसे गीत ने भाव विभोर किया। वहीं तुझमें रब दिखता है जैसे गानों में नृत्य की प्रस्तुति ने सबके मन को मोहित किया। कक्षा पांचवीं की छात्रा ने ग्रैंड पैरेंट्स के प्रति अपने भाव भाषण के माध्यम से प्रस्तुत किया। यह संदेश इस पंक्ति के माध्यम से दिया कि जितना किया है। उन्होंने उसका एक अंश तुम भी करना और कुछ नहीं तो एक कप चाय बना कर पिलाना।


पास बैठ कर जिंदगी में क्या चल रहा है, बस इतना बताना जैसी सीख दी गई। कार्यक्रम में पधारे अतिथियों ने अपना अनुभव साझा किया और कार्यक्रम में सम्मिलित होने पर खुशी जाहिर की। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती भारती व तामेश्वर ने किया। अंत में प्राथमिक विभाग की शिक्षिका श्रीमती सुमित्रा झा ने सबका आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्राचार्य श्रीमती संध्या लकड़ा का मार्गदर्शन व समस्त प्राथमिक विभाग के शिक्षक-शिक्षिकाओं का बहुमूल्य योगदान रहा।

नाती-पोते संग जोर आजमाइश, उत्कृष्ट प्रदर्शन कर हुए पुरस्कृत

परिवार के सबसे कनिष्ठ और सबसे वरिष्ठजनों को एक मंच पर लाने के साथ जमकर खुशियां बटोरने की यह पहल सभी के लिए स्मरणीय रही। इस बीच बच्चे अपने दादा दादी और नाना नानी के साथ मिलकर खूब खेले। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पुरस्कृत किए गए। कार्यक्रम के दौरान कुर्सी के नीचे पर्चे पर आज के सबसे भाग्यशाली व्यक्ति लिखा शब्द ढूंढना, पहेलियां, गेंदा फूल फेकों और पकड़ो जैसे रोचक खेल में सब दादा- दादी, नाना -नानी शामिल हुए और खेल खेलकर आनंदित हुए। विजेता दादा-दादी, नाना-नानी के जोड़े को विद्यालय की ओर से स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया।

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