दिवाली में जलाए गए पटाखों का धुआं और फसल काटाई के बाद बची हुई पराली को जलाने से बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना खराब होता है कि खुली हवा में सांस लेना भी दूभर हो जाता है। खासकर ‘अस्थमा’ के मरीज या सांस से जुड़ी किसी भी समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए ये समय मुश्किलों भरा होता है। जब व्यक्ति की सास की नली में सूजन आ जाती हैं तो रिस्पेटरी ट्रैक के चारों ओर की मसल्स कसने लगती है। जिससे लोगों को खांसी, घबराहट जैसी समस्या हो जाती है।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
दिवाली के दिन रात में घर से बाहर न निकलें। बाहर पटाखों के जलने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी गैसें निकलती हैं जो अस्थमा मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। बिना मास्क के घर से बाहर निकला आपके लिए खतरनाक हो सकता है। साथ ही अपनी दवाईयां और इनहेलर को हमेशा अपने पास रखें। रोज़ाना गर्म पानी से भांप लें। ऐसा करने से आपके फेफड़े खुलेंगे और सांस लेने में आसानी होगी। अगर भांप नहीं ले पा रहे हैं तो गर्म पानी की बोतल से सीने और पीठ की सिकाई करें।
अस्थमा के मरीज करें ये योगासन
- सूर्य नमस्कार
- उष्ट्रासन
- मकरासन
- भुजंगासन
- शलभासन
- धनुरासन
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