नई दिल्ली। भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के लिए 2.5 मिलियन डॉलर निर्धारित किए हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने स्वास्थ्य और देखभाल क्षेत्र, कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल, खनन और लॉजिस्टिक्स जैसे छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया।
इसके अलावा सात ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों के संघ ने भारत के साथ शैक्षणिक सहयोग के लिए उत्सुकता दिखाई। कौशल, शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग के लिए पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। गौरतलब है कि सोमवार को ‘भारत-ऑस्ट्रेलिया’ शिक्षा एवं कौशल परिषद की प्रथम बैठक हुई। यह बैठक आईआईटी गांधीनगर में हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत और ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री ने हिस्सा लिया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक की।
दोनों मंत्रियों ने पिछले दिनों हुई द्विपक्षीय बैठकों को मद्देनजर रखते हुए संस्थागत अवसंरचना की प्रगति की समीक्षा की। दोनों मंत्रियों ने शिक्षा, कौशल और प्रशिक्षण क्षेत्र में आपसी हित के क्षेत्रों में संबंधों को प्रगाढ़ करने पर सहमति व्यक्त की। भारत-ऑस्ट्रेलिया’ शिक्षा एवं कौशल परिषद की प्रथम बैठक के दौरान तीन प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा हुई – भविष्य के कार्यबल को आकार देना, शिक्षा में संस्थागत भागीदारी को सुदृढ़ करना और अंतर्राष्ट्रीयकरण के माध्यम से अनुसंधान के असर को बढ़ाना।
संस्थागत भागीदारी को लेकर दोनों मंत्रियों ने ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा सहयोग कार्य समूह की स्थापना किए जाने का स्वागत किया और सुझाया कि संस्थानों के साथ संपर्क ही इस एजेंडा को आगे ले जाएगा। मंत्रियों ने मई, 2023 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच माइग्रेशन एंड मोबिलिटी पार्टनरशिप अरेंजमेंट पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। यह दोनों देशों के बीच छात्रों, शिक्षाविदों और कुशल पेशेवरों की अधिक आवाजाही और आदान-प्रदान को सुगम करेगा।
दोनों मंत्रियों ने योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता के लिए तंत्र के तहत योग्यता मान्यता व्यवस्था को लागू करने के लिए अपनी संयुक्त प्रतिबद्धता को फिर दोहराया और ऑस्ट्रेलिया-भारत योग्यता मान्यता संचालन समिति द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की।
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