अनियमित दिनचर्या और खानपान में लापरवाही के साथ-साथ ‘स्क्रीन टाइम’ बहुत अधिक होने के कारण आजकल अधिकांश लोगों की आंखें समय से पहले ही कमजोर होने लगी है और उन्हें चश्मा लगाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बहुत कम ऐसे लोग होते हैं, जो शौकिया चश्मा लगाना पसंद करते होंगे, लेकिन अधिकांश लोग चश्मे का नंबर उतारने के लिए कई प्रयास करते हैं। ऐसे लोगों के लिए लेंस इम्प्लांट सर्जरी काफी मददगार साबित हो सकती है। Eye Specialist इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
क्या होते हैं मल्टीफोकल लेंस
मल्टीफोकल लेंस दूर या पास के दृष्टि दोष को दूर करने वाले ऐसे लेंस होते हैं, जो आंखों की दृष्टि में सुधार करते हैं। उम्र बढ़ने के साथ आंखों से संबंधित कुछ समस्याओं को नियंत्रित कर पाना मुश्किल होता है। मल्टीफोकल इंट्राऑकुलर लेंस निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष दोनों की स्थिति में चश्मे से छुटकारा दिलाते हैं।
Eye Specialist के मुताबिक, इंट्राऑकुलर लेंस सर्जरी में आंखों के अंदर प्लास्टिक डिस्क रखी जाती है, जो आंख के प्राकृतिक लेंस की तरह काम करती है। यह दो या उससे ज्यादा प्वाइंट पर फोकस करने की क्षमता रखती है, जिससे हमें दूर या नजदीक, दोनों ही दूरी पर साफ दिखाई देता है। आजकल कई आधुनिक लेंस भी आ गए है, जिसे ट्राई फोकल लेंस कहा जाता है। इससे हम दूर और पास के अलावा मोबाइल और कंप्यूटर पर भी साफ देख सकते हैं। ट्राई फोकल लेंस से चश्मे के बगैर हमारी नजर में क्लियरिटी और क्वालिटी आ जाती है।
मल्टीफोकल लेंस सर्जरी इसलिए फायदेमंद
मल्टीफोकल लेंस सर्जरी की खासियत ये है कि इंट्राऑकुलर लेंस हमेशा आंखों के अंदर ही रहता है। जहां कॉन्टैक्ट लेंस को बार-बार बाहर निकालकर रखने की समस्या होती है, वहीं इंट्राऑकुलर लेंस को बार-बार निकालना नहीं पड़ता है। साथ ही इस लेंस की सफाई का भी झंझट नहीं रहता है। इस लेंस को एक छोटी सी सर्जरी के जरिए आंख में इम्प्लांट किया जाता है, जिसमें किसी भी तरह का जोखिम नहीं होता है।
अब तक कई सफल मल्टीफोकल लेंस सर्जरी कर चुके डॉ. महावीर दत्तानी का कहना है कि कुछ विशेष मामलों में ही कभी-कभी आंखों में इन्फेक्शन हो सकता है। इसके अलावा आंखों में रेडनेस या सूजन हो सकती है, जो कुछ समय में ठीक भी हो जाती है। मल्टीफोकल लेंस सर्जरी में मरीज 4 से 5 सप्ताह में पूरी तरह ठीक हो जाता है और बगैर चश्मे के देख सकता है।
इन बातों की रखें सावधानी
मल्टीफोकल लेंस सर्जरी के बाद भी मरीज को कुछ बातों की विशेष सावधानी रखना चाहिए। आंखों को भरपूर आराम देना चाहिए और बार-बार आंखों को छूने से बचना चाहिए। आंखों को कभी न रगड़ें और आंखों को किसी भी तरह के इन्फेक्शन से बचाने के लिए हाइजीन का ध्यान रखें।
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