कोरबा, 26 सितम्बर । पिछले दिनों न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कोरबा कलेक्टर के द्वारा रेत घाटों पर बोर्ड लगवाए गए हैं कि अवैधानिक तरीके से रेत का खनन और परिवहन किया जाता है तो उसे 5 वर्ष की सजा से दंडित किया जा सकता है। लेकिन कोरबा शहर और इससे लगे आसपास के क्षेत्र में रेत चोरों और माफिया का दुस्साहस इतना ज्यादा है कि वह ना तो एनजीटी के निर्देश का पालन करना चाहते हैं, ना ही हाईकोर्ट या फिर कलेक्टर के निर्देश का। सारे आदेश/ निर्देश इनके ठेंगे पर हैं। खनिज विभाग भी आखिर किस हद तक कार्रवाई करें क्योंकि उसके पास भी अमले की कमी है। 15 अक्टूबर तक एनजीटी के निर्देशानुसार नदी/नालों से रेत खोदने पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
शहर के भीतर सीतामढ़ी घाट से जो कि आवंटन नहीं हुआ है, वहां से रेत की हो रही चोरी रोकने के लिए तीन बार बड़े-बड़े गड्ढे खुदवाये गए लेकिन इनको पाट कर चोरी जारी रही तो फिर बाद में बैरियर लगवाया गया लेकिन अब इस बैरियर को उठाकर ट्रैक्टर आर-पार कराया जा रहा है। पिछले दिनों जिला प्रशासन खनिज विभाग के द्वारा बरमपुर,बरबसपुर और सीतामढ़ी के रेत भंडारण को अवैध घोषित करते हुए निरस्त कर दिया गया है। इसके बाद भी इन तीनों स्थानों से रेत की निरंतर चोरी जारी है। रेत के घाटों का आवंटन और परिवहन हो ही रहा है तो वहीं अनदेखी का पूरा-पूरा फायदा उठाया जा रहा है।
अब सवाल उठता है कि सारे नियम/निर्देशों के बाद आखिर इन रेत चोरों को संरक्षण किसका मिल रहा है। एक रेत चोर तो बाहर की रेत लाकर बेचना बताता है ताकि लोगों की जरूरत पूरी हो सके जबकि वह ऐसी जानकारी देकर अधिकारियों को गुमराह करके बरमपुर से स्थानीय प्रतिनिधि के संरक्षण में चोरी की रेत खपा रहा है। हसदेव नदी, अहिरन नदी का सीना छलनी कर रेत की चोरी बदस्तूर जारी है। यह तो शहर और शहर से लगे क्षेत्र की बात है, उप नगरीय क्षेत्र बांकीमोगरा, कटघोरा कुसमुंडा,करतला और अन्य इलाकों से भी या बड़े पैमाने पर यह सब हो रहा है। जब शहर के भीतर ही निर्देश का पालन न कराया जा सके तो फिर दूर दराज के क्षेत्र में आखिर कौन धरपकड़ करने जाएगा?
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