पढ़ाई का खर्च भरने में असमर्थ था किसान परिवार
अदाणी फाउंडेशन के निःशुल्क कोचिंग में पढ़ाई करने वाली हर्षा की राह नहीं थी आसान
रायगढ़, 25 सितंबर । “पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है” कथन को क्षेत्र की एक मात्र आदिवासी छात्रा हर्षा ने अपनी मेहनत और लगन से चरितार्थ किया है। अदाणी फाउंडेशन द्वारा तमानर ब्लॉक के ग्राम कुंजेमुरा में संचालित ऑनलाइन कोचिंग से मार्गदर्शन प्राप्त कर हर्षा ने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए आयोजित नीट प्रवेश परीक्षा की ऑल इंडिया सूची में 2072वां स्थान प्राप्त कर मेडिकल कॉलेज में अपनी सीट सुरक्षित करने में बड़ी सफलता हासिल की है।
हर्षा की इस अनुकरणीय सफलता के बावजूद उसका परिवार उसके आगे की पढ़ाई के लिए लगने वाले पैसों के लिए चिंतित था। इसी बीच क्षेत्र की पहली आदिवासी बालिका हर्षा की इस जबरदस्त उपलब्धि और उसके परिवार की चिंता का पता जब अदाणी इंटरप्राइज़ेज़ में कार्यरत श्री मनोज कुमार सिंह को चला, तो उन्होंने तत्काल छात्रा और उसके पिता से बात की और सहयोग करने का वादा किया। तमनार के सावित्रीनगर के निवासी श्री मनोज कुमार सिंह वर्तमान में गारे पेल्मा II खुली खदान में वरिष्ठ अधिकारी हैं और सामाजिक भावना के तहत अपने जीवन में अनेक जरूरतमंद लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद की है। श्री सिंह ने हर्षा सिदार के सपने को अंजाम तक पहुंचाने उसकी मेडिकल पढ़ाई के खर्च का बीड़ा उठाया है।
रायपुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज में मिला एडमिशन
हर्षा सिदार ने एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए रायपुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया है। श्री सिंह ने अपने वायदे को पूरा करते हुए हर्षा के एमबीबीएस प्रथम वर्ष में पढ़ाई के लिए उसके कॉलेज की सालभर की निर्धारित कुल ट्यूशन फीस का भुगतान कर दिया है। इस मौके पर श्री सिंह ने कहा, “ऐसी मदद करने में मुझे सुकून और आनंद मिलता है। जरूरतमंद कन्याओं के जीवन में बदलाव लाने को मैं अपना सौभाग्य समझता हूँ। हर्षा ने क्षेत्र के युवाओं के लिए एक मिसाल कायम की है। मैं आशान्वित हूँ कि आने वाले समय में अदाणी फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे इस कोचिंग केंद्र से क्षेत्र के ज्यादा से ज्यादा युवाओं का चयन इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में होगा।”
हर्षा की राह नहीं थी आसान
हर्षा उसके क्षेत्र की पहली ऐसी होनहार आदिवासी लड़की है, जो डाक्टर बनने जा रही है। किन्तु हर्षा की राह इतनी आसान न थी। आदिवासी कृषक परिवार में हर्षा का जन्म वर्ष 2005 में हुआ। वह अपने माता, पिता, एक छोटी बहन तथा दादी के साथ सामान्य से घर में रहती है। हर्षा के पिता ओंकार सिंह पेशे से किसान हैं। उनकी एक पैतृक जमीन थी जो पॉवर प्लांट की स्थापना के साथ वर्ष 2004 में चली गई और अब घर के आय का मुख्य स्रोत केवल कृषि ही है। हर्षा बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थी और सामान्य स्कूल में हिन्दी माध्यम से उसने पढ़ाई की है। किन्तु उसका सपना डॉक्टर बनकर समाज में सेवा करने का था। इसके लिए एक ओर जहाँ उसे नीट के लिए जरूरी मार्गदर्शन की सख्त जरूरत थी, तो वहीं दूसरी ओर उसके परिवार के सामने भी उसके सपनों को पूरा कराने के लिए लगने वाले शुल्क के लिए पैसों की भी जरूरत थी।
अदाणी फाउंडेशन के निःशुल्क कोचिंग में की MBBS की तैयारी
हर्षा के इस सपने को उड़ान भरने के लिए अदाणी फाउंडेशन ने पंख दिए। गारे पेल्मा II के सामाजिक निर्वहन के तहत ग्राम कुंजेमुरा में वर्ष 2021 में अदाणी फाउंडेशन द्वारा संचालित ऑनलाइन मेडिकल और इंजीनियरिंग के निःशुल्क कोचिंग में प्रवेश दिया गया। साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए जरूरी किताबों सहित परीक्षा शुल्क भी कोचिंग केंद्र में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की मदद की जाती है। इस कोचिंग में रांची में स्थित प्रसिद्ध संस्थान के शिक्षकों द्वारा सुबह 6 बजे से प्रतिदिन 03 घंटे की पढ़ाई कराई जाती है। चूँकि, उक्त कोचिंग उसके घर से करीब 10 किमी की दूरी पर स्थित था, इसलिए प्रतिदिन समय पर कोचिंग पहुँचना एक चुनौतीपूर्ण काम था। कोचिंग में प्राइवेट अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी उससे काफी आगे रहते थे। वह कोचिंग में नियमित रूप से होने वाले टेस्ट परीक्षा में औसत अंक ही प्राप्त करती थी। पूरे कोचिंग के दौरान वह लगातार उपस्थित रहती। यही उसके सफलता का मूल मंत्र भी था। हिन्दी माध्यम से पढ़ाई करने के कारण मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के दौरान उसे बहुत-सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि पूरी पढ़ाई अंग्रेजी-हिंदी माध्यम मिक्स रहती थी। वर्ष 2022 सितंबर में हर्षा के सामने एक नई समस्या आ गई। उसकी आँखों में तकलीफ होने के कारण वह लगभग एक माह तक कोचिंग नहीं कर पाई। इसके बाद भी उसने हार नहीं मानी और अपना छूटा हुआ कोर्स पूरा किया। कोचिंग में हर तिमाही पैरेंटस मीटिंग हुआ करती थी, जिसमें कोचिंग संस्थान के डायरेक्टर रांची से शामिल होने आते थे। अदाणी की सीएसआर टीम और उनके द्वारा सभी बच्चों को प्रोत्साहित करने, उनके द्वारा की जा रही तैयारियों की समीक्षा करके उन्हें सही मार्गदर्शन दिया जाता, जिस पर वह पूरी तरह वह अमल करती। हर्षा मेहनत करती रही और उसने बारहवीं के साथ साथ नीट-2023 की परीक्षा दी।
परिवार ने जताया आभार
जब नीट-2023 प्रवेश परीक्षा का परिणाम आया, तो उसने 720 में 447 अंक प्राप्त कर ऑल इंडिया में आदिवासी वर्ग के कोटे में प्रवेश प्राप्त किया। वर्तमान में हर्षा ने श्री मनोज कुमार सिंह की मदद से रायपुर स्थित बेहतरीन जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की पढ़ाई हेतु प्रवेश प्राप्त कर लिया है। श्री सिंह के शिक्षा में इस सहायता के लिए हर्षा व उसके पूरे परिवार ने उनका आभार माना है।
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