शिक्षा पुरुस्कारों मे भी भ्रष्टाचार का चढ़ता हुआ रंग, प्रतिभा को दरकिनार कर चहेतों को मिलता है पुरुस्कार : ओमप्रकाश बघेल

“पुरुस्कार चयन पद्धति मे बदलाव की आवश्यकता –ओमप्रकाश बघेल”

कोरबा, 24 सितंबर । छ ग शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा विभाग मे कार्यरत शिक्षकों को उनके विभिन्न क्षेत्रों मे की गई उत्कृष्ट एवं उल्लेखनीय शिक्षकीय सेवा या कार्यों के परिणाम स्वरूप राज्यपाल, राष्ट्रपति पुरुस्कारों के साथ ही छ ग शासन द्वारा विगत कुछ वर्षों से विभिन्न पुरुस्कारों जैसा कि मुख्यमंत्री शिक्षा श्री, ज्ञानदीप, शिक्षादूत पुरुस्कारों के माध्यम से शिक्षकों को प्रोत्साहित करने का कार्य लगातार जारी है , पुरुस्कार प्राप्त करने के लिए अपने उल्लेखनीय एवं उत्कृष्ट कार्यों को शिक्षक, छाया चित्रों के माध्यम से एक प्रोफ़ाइल तैयार कर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय मे सम्बंधित शाखा प्रभारी के पास जमा करना होता है, पुरुस्कारों के अंजाम तक पहुंचाने मे सम्बंधित शाखा प्रभारी विशेष किरदार निभाता है।

उक्त पुरुस्कार प्राप्त करने की चाह शिक्षकों मे होड़ या प्रतिस्पर्धा इशकदर बढ़ गई है कि कुछ शिक्षक अलग राह अख्तियार कर रहे हैँ , जिसका दूसरा नाम भ्रस्टाचार है, और यह इसलिए की छ ग शासन स्कूल शिक्षा विभाग चयनित शिक्षक को पुरुस्कार या सम्मान के रूप मे एक निश्चित उपहार के साथ सम्मान राशि, सेवा पर्यंत तक मिलने वाली एक विशेष वेतनवृद्धि, कभी कभी शासन चाहे तो टर्न ऑफ़ प्रमोशन भी दे देती है।आज के माहौल मे चयन कमेटी महज दिखावा साबित हो रहा है। केवल एक फ़ाइल से आकलन कर उत्कृष्ट या पुरुस्कार के योग्य मान लेना चयन की कसौटी पर कुठाराघात है।

छ ग प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश बघेल, छ ग शिक्षक संघ बिलासपुर संभाग के संभागीय उपाध्यक्ष तरुण सिंह राठौर, छ ग राज्य कर्मचारी संघ जिला कोरबा के अध्यक्ष एस. एन. शिव द्वारा संयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि शिक्षा विभाग मे शिक्षा पुरुस्कारों के होड़ मे ओ सभी शिक्षक किस्मत आजमाते हैँ जिनका कार्य या सेवा उत्कृष्ट या उल्लेखनीय हो या ना हो किन्तु शिक्षक द्वारा तैयार की गई फ़ाइल मे अपने आप को उत्कृष्ट एवं उल्लेखनीय जरूर दिखाया जाता है । कोरबा जिले मे कुछ ऐसे शिक्षक भी हैँ जिन्हें विभिन्न पुरुस्कारों से नवाजे गए हैँ जिनका उत्कृष्ट कार्य या सेवा महज दिखावा या खोखले हैँ,और वास्तविकता या सत्यता से उतने ही परे। यदि इसकी सुक्षमता से जाँच की जाए तो मामला कुछ अलग निकलकर आ सकता हैँ।

प्रतिभागियों के चयन पद्धति मे बदलाव की आवश्यकता शिक्षक नेतओं द्वारा बताया गया की केवल एक फ़ाइल से किसी शिक्षक को उत्कृष्ट मान लेना मूल्यांकन की कसौटी नही, बल्कि उनके कार्य स्थल,उनके द्वारा की गई शिक्षकीय, सामाजिक, सार्वजनिक,ब्यवहारिक क्षेत्र मे विशेष योगदान या उत्कृष्टता का मूल्यांकन आवश्यक होनी चाहिए।आज के दौर मे शिक्षा पुरुस्कार या सम्मान वास्तविक मे जिन शिक्षकों का कार्य विभिन्न क्षेत्रों मे उत्कृष्ट या उल्लेखनीय है उन्हें प्राप्त नही होता बल्कि ऐसे शिक्षकों को प्राप्त होता है जो या तो विभागीय चहेते चेहरे होते हैँ या दिखावे एवं ढकोसले बाजी तथा ब्यवस्था को प्रतिकूल बनाने मे माहिर होते हैँ। शिक्षक नेता ओमप्रकाश बघेल, तरुण सिंह राठौर, एस एन शिव द्वारा संयुक्त रूप से संघ के माध्यम से जिला प्रशासन से मांग की है कि शिक्षा पुरुस्कार या सम्मान मे प्रतिभागी चयन जिला प्रशासन के निगरानी मे विशेष टीम तैयार कर उनके शिक्षकीय, सार्वजनिक, सामाजिक, ब्यवहारिक क्षेत्र मे विशेष योगदान की उत्कृष्टता का मूल्यांकन या जाँच सूक्ष्मता के साथ कर पुरुस्कार या सम्मान के योग्य निर्धारित की जाए।