कांकेर, 21 सितम्बर। छत्तीसगढ़ का एक गाँव ऐसा भी जहाँ आजादीं के 7 दशक बाद भी गाँव पुलविहीन हैं, आजादी के एक दशक बाद भी कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा विकासखंड के ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम घोटिया में पुल नहीं हैं, पुल नहीं होने से स्कूली बच्चे और लोग जान जोखिम में डालकर उफनती नदी पार कर पहुंच रहे हैं।
ग्रामीण बताते हैं की पुल की मांग को लेकर कई सालो से मांग कर रहें हैं लेकिन मांग पूरी नहीं हुई सरकार बदल गई लेकिन आज तक पुल नहीं बनवा पाई ग्राम पंचायत मुरवंडी के आश्रित गाँव घोटिया हैं इस ग्राम पंचायत से होकर कई गाँव तारहूर मारकचुआ मेड्रा ऐसे दर्जन गाँव आश्रित हैं घोटिया गाँव में कुल 580 लोग निवास करते हैं साथ ही अन्य गावों के लोगों को इस पुल से होकर गुजरना पड़ता हैं। बारिश के दिनों में लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं। हर साल इस समस्या से गाँव के लोग गुजरते हैं अत्यधिक बारिश होने से घोटिया नाला उफान पऱ होती हैं जिसके चलते आसपास के गाँव से संपर्क टूट जाता हैं। गाँव में किसी की तभीयत बिगड़ जाये तो इस नाले से चारपहिया वाहन गाँव तक नहीं पहुंच सकती हैं और गाँव के लोग उफनती नदी को पार कर नहीं सके जिससे कई लोगों की जान भी जा चुकी हैं।
इतना ही नहीं गाँव में प्राथमिक शाला माध्यमिक शाला स्कूल संचालित हो रहीँ हैं ,जिसके बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए बड़गाव जाना पड़ता हैं और इसी नाले से होकर 7 किलोमीटर की दुरी का सफर तय कर स्कूली बच्चे रोजाना उफनती नदी पार कर बड़गाव पहुंचते हैं, ऐसे दर्जनों बच्चों को पार करने के लिए गाँव के ग्रमीण इन बच्चों को नदी पार कराते हैं जिससे बच्चे पानी के तेज बाहव में बह जाने का भय भी बना रहता है, स्कूली बच्चे रोजाना उफनती नदी को पार करने के लिए एक साथ झुंड बनकर जाते है। वहीं कुछ गाँव के लोग बच्चों को साईकिल पर बैठा कर नाला पार करा देते हैं, जिसके बाद बच्चों को साईकिल चलाकर बड़गाव के स्कूल में 7 किलोमीटर की सफऱ तय कर स्कूल आते हैं।
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