बिलासपुर एयरपोर्ट को उड़ान योजना से क्यों किया अलग?, हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, AII और राज्य सरकार को समन्वय बनाने दिए निर्देश, चार सप्ताह में मांगा जवाब

बिलासपुर,07 सितम्बर । बिलासपुर में एयरपोर्ट के विस्तार और सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। इस दौरान मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता ने बहस की। इस दौरान डिवीजन बेंच ने पूछा कि केंद्र सरकार ने एयरपोर्ट को उड़ान योजना से क्यों अलग किया? इसे लेकर कोर्ट ने केंद्र सरकार, एयरपोर्ट अर्थाटी (AII) और राज्य सरकार को समन्वय बनाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा है। इसके लिए डिवीजन बेंच ने चार सप्ताह का समय दिया गया है। केस की अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को होगी।

जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस दीपक तिवारी की डिवीजन बेंच को बताया कि याचिकाकर्ताओं की तरफ से सीनियर एडवोकेट पूर्व महाधिवक्ता रवींद्र श्रीवास्तव व मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता व सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा ने बताया कि राज्य शासन ने एयरपोर्ट के उन्ननयन के लिए सेना की जमीन वापसी के लिए केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय को राशि का आवंटन कर दिया है। रक्षा मंत्रालय ने भी इसके लिए प्रक्रिया पूरी कर ली है। लेकिन, औपचारिक हस्तांतरण अभी तक नहीं हुआ है। जिसके कारण रन-वे सहित कई काम अधूरा है।

एयरपोर्ट में हवाई सुविधा उपलब्ध कराने की मांग को लेकर दायर की गई है जनहित याचिका।

टर्मिनल बिल्डिंग और नाइट लैडिंग का काम चल रहा है
इस दौरान महाधिवक्ता सतीशचंद वर्मा ने कोर्ट को बताया कि एयरपोर्ट में टर्मिनल बिल्डिंग और नाइट लैडिंग का काम चल रहा है, जो अब पूरा होने वाला है। रन-वे के पास निर्माणाधीन आइसोलेशन-बे को भी जल्द पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। एयरपोर्ट का 3 सीबीएफआर से 3 सीआईएफआर कैटेगरी में उन्नयन किया जा रहा है, जिसके बाद एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग की सुविधा शुरू हो सकेगी। सेना से जमीन मिलने के बाद एयरपोर्ट में रन-वे की लंबाई का काम शुरू हो सकेगा।

एयरपोर्ट को उड़ान योजना में शामिल किया जाए
सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच को बताया गया कि एयरपोर्ट को पहले केंद्र सरकार ने उड़ान योजना में शामिल किया था। लेकिन, बाद में इस योजना से वंचित कर दिया गया। दरअसल, केंद्र सरकार ने एयरपोर्ट को पूर्णत: विकसित बता दिया गया। जबकि, अभी एयरपोर्ट अभी विकसित ही नहीं हुआ है। गलत जानकारी देकर एयरपोर्ट को योजना से अलग कर दिया है। जिसे फिर से उड़ान योजना में शामिल किया जाए।

फ्लाइट बंद करने पर भी उठे सवाल
डिवीजन बेंच को यह भी बताया गया कि बिलासपुर-भोपाल और बिलासपुर-इंदौर फ्लाइट को बंद करने को लेकर भी बहस की गई। इस दौरान कोर्ट ने अलायंस एयर को नए सिरे से शपथपत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा है। दरअसल, अलायंस एयर ने बताया था कि यात्री नहीं मिलने के कारण फ्लाइट बंद की गई थी। जबकि याचिकाकर्ताओं ने बताया था कि लगातार यात्री मिलने के बाद भी टिकट का रेट बढ़ा दिया गया और जानबुझकर फ्लाइट को बंद कर दिया गया।

उड़ान योजना में शामिल करने और समन्वय बनाकर काम करने दिए निर्देश
सभी पक्षों की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार, एयरपोर्ट अर्थाटी और राज्य शासन को समन्वय बनाकर एयरपोर्ट को विकसित करने के लिए कहा है। इसके साथ ही एयरपोर्ट को उड़ान योजना में शामिल करने और एयरपोर्ट का डवलप करने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा है। कोर्ट ने इसके लिए केंद्र सरकार, एयरपोर्ट अर्थाटी और राज्य शासन को चार सप्ताह का समय दिया है। प्रकरण में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव, संदीप दुबे, आलोक ऋषि, प्रगति कौशिक, मानस वाजपई, दीपा सिंह उपस्थित हुए।