दुर्ग ,05 सितम्बर I पुलिस अधीक्षक दुर्ग शलभ कुमार सिन्हा के निर्देश पर एवं सतीष ठाकुर, सदानंद विध्यराज, उप पुलिस अधीक्षक (यातायात) के नेतृत्व में चलाये जा रहे यातायात जागरूकता कार्यक्रम के तहत शिक्षक दिवस के अवसर पर जिले के कुल-36 शहरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र के शासकीय एवं प्राईवेट स्कूलो में “यातायात-पाठशाला” प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें यातायात के उप पुलिस अधीक्षक, निरीक्षक, उप निरीक्षक, सहायक उप निरीक्षक के द्वारा एक शिक्षक की भांति कुल 18 हजार स्कूली छात्र/छात्राओं को यातायात नियम संबंधित प्रशिक्षण दिया गया।
यातायात पाठशाला अभियान के तहत यातायात पुलिस अधिकारियों के द्वारा सर्व प्रथम छात्र/छात्राओं को यातायात नियम का पालन न करने से होने वाले नुकसान जैसे-हमारे जिले में प्रतिवर्ष सडक दुर्घटना में 300 लोग, छ.ग. राज्य में 5000 लोग एवं हमारे देश मे 1,50,000 लोग सडक दुर्घटना में मारे जाते है जो कि अत्यंत गंभीर विषय है क्योकि इस सडक दुर्घटना में वे लोग मारे जाते है जो किसी घर का मुख्या, आने वाला भविष्य, घर के आवक का जरिया होता है जिसके न रहने से उस घर की स्थिति बहुत ही दयनीय हो जाती है ऐसे ही सडक दुर्घटना से हमारे देश के कुल जीडीपी का 3 प्रतिशत रकम लगभग चार लाख पैत्तीस हजार करोड का नुकसान होता है जो कि जैसे केनिया देश जीडीपी के बराबर है।
कार्यक्रम का उद्देश्य पर प्रकाश डालने पश्चात उपस्थित छात्र/ छात्राओ एवं शिक्षकगणों को यातायात नियमो की विस्तृत जानकारी दी गई जिसमें सर्वप्रथम यातायात के प्रमुख घटक 04-ई के बारे में बताया गया पहला-ई रोड इंनजीनियरिंग जिसके अंतर्गत पीडब्ल्यू डी विभाग आता है जो सडक निर्माण का कार्य करती है। दूसरा-ई एजुकेशन इसके अंतर्गत पैदल चलने के नियम, रोड मार्किग, रोड साईन बोर्ड(आदेशात्मक, सूचनात्मक, चेतावनीसूचक) यातायात नियंत्रण विद्युत संकेत, वाहन चालक के द्वारा देने वाले संकेत, दो पहिया वाहन चलाने के नियम, चार पहिया वाहन चलाने के नियम, स्कूल आते जाते समय सुरक्षा की दृष्टि से बरती जाने वाली बाते, पार्किग का स्थान, वाहन चलाते समय क्या नहीं करना चाहिए एवं वाहन चलाने के नियम संबंधित बाते बताई गई। तीसरा-ई इन्फोसमेन्ट इसके अंतर्गत पुलिस द्वारा नियमों का पालन न करने वाले वाहन चालको के उपर कार्यवाही करना बताया गया।
चौथा-ई इंमरजेन्सी केयर इसके अंतर्गत सडक दुर्घटना में घायल व्यक्ति को उपचार किया जाना आता है। साथ ही साथ सडक में घायल व्यक्ति की मदद करने के लिए शासन द्वारा जारी किये गये गुड सेमेरिटन (नेक व्यक्ति) की जानकारी प्रदान की गई। साथ ही साथ स्कूली छात्र/छात्राओं से अपील की गई की वे जो जानकारी आज उन्हे प्राप्त हुई है उसे अपने परिजन, रिश्तेदार एवं मित्रगण से साझा कर यातायात नियमो का पालन करने हेतु प्रेरित किया जाये, छात्र जीवन एक अनुशासन मे रहकर जीवन व्यतीत करता है उसी प्रकार सड़क मे भी एक अनुशासित वाहन चालक सड़क दुर्घटनाओं से बच सकता है।
यातायात अधिकारी द्वारा कहा गया की हमारा लक्ष्य सड़क दुर्घटनाओं एवं सड़क दुर्घटनाओं मे होने वाली मौत को रोकना है जिसके लिए एक वाहन चालक को यातायात नियमों के प्रति जागरूक होना अति-आवश्यक है वैसे ही नाबालिक को बिना लायसेंस वाहन चालन नही करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश किसी परिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ग्रामवासी माल वाहक वाहन में यात्रा करते है जो कि जोखिम भरा होता है माल वाहक वाहन में यात्रा नहीं करना चाहिए जब तक लायसेंस न बने वाहन नहीं चलाना चाहिए। शिक्षकगणों को भी यातायात नियमों का पालन करते हुए वाहन चालन करना चाहिए स्कूल आते समय दो पहिया वाहन में हेलमेट एवं चार पहिया वाहन में सीट बेल्ट लगाकर स्कूल के अंदर प्रवेश करना चाहिए क्योकि बच्चे जो देखते है वही सीखते है।
कार्यक्रम के दौरान यातायात नियमों संबंधित पाम्पलेट भी वितरण किया गया एवं बच्चो के पढने के लिए स्कूल के लासेबेरी हेतु यातायात नियम संबंधी पुस्तक भी सभी स्कूलो में वितरण किया गया कार्यक्रम के अंत में यातायात पुलिस के अधिकारियों के द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित छात्र/छात्राओं एवं शिक्षकगण को वाहन चलाते समय सदैव यातायात नियमों का पालन करने हेतु शपथ दिलाया गया।
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