Swine Flu: मौत का कारण भी बन सकता है H1N1 वायरस, जानें स्वाइन फ्लू के बारे में वह सबकुछ जो जानना जरूरी है

Swine Flu: मानसून का मौसम अपने साथ कई सारी बीमारियां और संक्रमण लेकर आता है। इस मौसम में कई बार कुछ ऐसी बीमारियों भी लोगों को अपना शिकार बना लेती हैं, जिनके बारे में जानकारी मिलना मुश्किल हो जाता है। ऐसा ही कुछ इन दिनों हैदराबाद में देखने को मिल रहा है। दरअसल, यहां एक नई वायरल बीमारी हैदराबाद में फैल रही है, जो बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर रही है।

इस बीमारी के लक्षण स्वाइन फ्लू, इन्फ्लूएंजा और एडेनोवायरस से काफी मिलते-जुलते हैं, जिसकी वजह से सही तरह से इसकी पहचान करना मुश्किल हो रहा है। हालांकि, कई लोग इसे स्वाइन फ्लू से जोड़कर भी देख रहे हैं, तो आइए जानते हैं स्वाइन फ्लू से जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में, जो आपके लिए जानना जरूरी है।

स्वाइन फ्लू (H1N1) क्या है?

स्वाइन फ्लू (H1N1) एक संक्रमण है, जो एक प्रकार का फ्लू (इन्फ्लूएंजा) वायरस पैदा करता है। इसे स्वाइन फ्लू कहा जाता है, क्योंकि यह फ्लू वायरस के समान है, जो सूअरों को प्रभावित करता है। यह वायरस सूअरों में फेफड़े (श्वसन) की बीमारी का कारण बनता है। स्वाइन फ्लू (H1N1) मनुष्यों में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन है।

क्या स्वाइन फ्लू (H1N1) और स्पैनिश फ्लू एक ही चीज हैं?

साल 1918 में, H1N1 के स्ट्रेन से फैली फ्लू महामारी ने दुनिया भर में 500 मिलियन लोगों को संक्रमित किया। इसे स्पैनिश फ्लू के नाम से जाना गया। दुनिया भर में कम से कम 50 मिलियन लोग मारे गए।

स्वाइन फ्लू (H1N1) महामारी कब और कहां से शुरू हुई?

अप्रैल 2009 में, शोधकर्ताओं ने H1N1 के एक नए वेरिएंट की खोज की। उन्होंने सबसे पहले इस नए वेरिएंट का पता संयुक्त राज्य अमेरिका में लगाया। यह वायरस पूरे अमेरिका और दुनिया भर में तेजी से फैल गया। यह तेजी से फैला क्योंकि यह एक नए प्रकार का फ्लू वायरस था। इस नए स्ट्रेन ने दुनिया भर में लाखों लोगों को संक्रमित किया है। इसकी वजह से दुनिया भर में करीब 150,000 लोग मारे गए। मरने वालों में 80 प्रतिशत लोग 65 वर्ष से कम उम्र के थे।

स्वाइन फ्लू (H1N1) महामारी कब खत्म हुई?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक यह महामारी अगस्त 2010 में खत्म हो गई थी। हालांकि, लोग अभी भी एच1एन1 से संक्रमित हो सकते हैं और इसे फैला सकते हैं। H1N1 मौसमी फ्लू वायरस में से एक है। यह बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकता है।

स्वाइन फ्लू (H1N1) का कारण क्या है?

एक वायरस स्वाइन फ्लू (H1N1) का कारण बनता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। जब कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो बूंदें हवा में चली जाती हैं। जब आप सांस के माध्यम से वायरस अंदर लेते हैं, तो आपको यह संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा जब आप किसी दूषित सतह को छूते हैं और फिर अपने मुंह, नाक या आँखों को छूते हैं, तो भी आपको संक्रमण हो सकता है। सूअर का मांस खाने से आपको H1N1 नहीं हो सकता।

क्या स्वाइन फ्लू (H1N1) संक्रामक है?

जी, हां। स्वाइन फ्लू (H1N1) संक्रामक है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।

स्वाइन फ्लू (H1N1) के लक्षण क्या हैं?

स्वाइन फ्लू (H1N1) के लक्षण आम फ्लू के लक्षणों के समान होते हैं। वायरस के संपर्क में आने के तीन से पांच दिन बाद लक्षण नजर आने शुरू हो सकते हैं। इन लक्षणों में निम्न शामिल हैं:-

  • बुखार
  • ठंड लगना
  • खांसी
  • गला खराब होना
  • शरीर या मांसपेशियों में दर्द
  • सिरदर्द
  • थकान

शिशुओं और बच्चों में यह लक्षण भिन्न हो सकते हैं। अगर आपके शिशु या बच्चे में निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण है, तो तुरंत किसी डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करें-

  • सांस लेने में तकलीफ
  • जागने में परेशानी
  • पर्याप्त तरल पदार्थ न पीना
  • दाने के साथ बुखार आना
  • कन्फ्यूजन

स्वाइन फ्लू (H1N1) का निदान कैसे किया जाता है?

स्वाइन फ्लू (H1N1) का निदान करने के लिए विशेषज्ञ आपका शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं और आपसे आपके लक्षणों के बारे में पूछ सकते हैं। इसके अलावा रेपिड फ्लू टेस्ट की मदद से भी इसकी पहचान की जा सकती है। एक रैपिड फ्लू टेस्ट कई अलग-अलग फ्लू वायरस की जांच करता है। H1N1 टेस्ट के रिजल्ट आने में कुछ दिन लग सकते हैं।

स्वाइन फ्लू (H1N1) से बचाव कैसे करें?

स्वाइन फ्लू (H1N1) से बचाव का सबसे अच्छा तरीका अपना वार्षिक फ्लू टीका लगवाना है। फ्लू के टीके ने 2010 से स्वाइन फ्लू से बचाने में मदद की है। इसके अलावा आप निम्न बातों को ध्यान में रख स्वाइन फ्लू (H1N1) होने और फैलने से रोक सकते थे।

  • छींकते या खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रुमाल से ढकें।
  • अगर आपके पास टिश्यू नहीं है, तो अपनी कोहनी में छींकें या खांसें।
  • अपने हाथ साबुन और पानी से बार-बार धोएं।
  • अपनी आंखों, नाक या मुंह को न छुएं।
  • ऐसे लोगों के संपर्क में आने से बचें जो बीमार हैं।
  • अगर आप बीमार हैं, तो घर पर ही रहें।
  • कप, स्ट्रॉ और बर्तन जैसी व्यक्तिगत चीजों को साझा न करें।
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