CG News :मासूम बेटे का शव लेकर बाइक में किया लंबा सफर

कोरबा,29 अगस्त। जिले में सोमवार को दो अलग-अलग तस्वीर सामने आई। इससे स्वास्थ्य विभाग की पोल खुल गई। इन तस्वीरों ने लोगाें को झकझोर दिया। बेहतर सुविधा का दावा करने वाले प्रशासनिक अधिकारियाें के लिए भी ये घटनाएं आंखें खोलने वाली रही। एक तरफ वाहन उपलब्ध नहीं होने की वजह से बेबस पिता को बाइक में बच्चे के शव को लेकर 60 किलोमीटर का सफर करना पड़ा।

वहीं दूसरी ओर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों की अदूरदर्शिता की वजह से जन्म के बाद नवजात को जान गंवानी पड़ी। सोमवार की सुबह उसकी पत्नी अपने डेढ़ साल के बच्चे अश्विनी को लेकर खेत गई थी। खेत की मेड़ में बच्चे को छोड़कर वह निंदाई के काम में व्यस्त हो गई। खेत से लगी डबरी में वर्षा के कारण पानी भरा था। खेलते-खेलते अश्विनी डबरी की ओर चला गया। मां की भी सुध बच्चे की ओर नहीं रही।

मां ने थोड़ी देर बाद जब मेड़ की ओर देखा तो बच्चा गायब था। वह खेत से काम छोड़ मेड़ की ओर दौड़ी। तब तक बहुत देर हो चुकी था। अश्विनी डबरी में डूब चुका था। मां उसे उठाकर अस्पताल ले जाने के लिए दौड़ पड़ी। आनन फानन में पिता दरश बच्चे को लेकर लेमरू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा। यहां डाक्टरों ने परीक्षण के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की जानी थी लेकिन स्थानीय अस्पताल में इसकी सुविधा नहीं थी। शव को जिला अस्पताल के मर्च्युरी ले जाना था।

दरशराम ने स्वास्थ्य कर्मियांे से शव वाहन उपलब्ध कराने की मांग की। पिता का दर्द उस समय दोगुना हो गया जब दुध मुंहे बच्चे के शव के लिए वाहन उपलब्ध कराने में विभाग ने असमर्थता जता दी। मजबूर दरश को अपने दुधमुंहे बच्चे के शव को प्लास्टिक में लपेट कर 60 किलोमीटर मोटर साइकिल से सफर कर जिला अस्पताल आना पड़ा। तब कहीं जाकर अंत्येष्टि के लिए शव को पुलिस ने सुपुर्दनामा किया। पूरी घटना क्रम ने चिकित्सा विभाग की कलई खोल दी है।

संजीवनी 108 की भी सुविधा नहीं
जिले में संजीवनी 108 के 12 वाहन उपलब्ध कराए गए थे , जिसमें तीन खराब हो चुके हैं। स्वीकृत वाहनों में एक वाहन की तैनाती लेमरू अस्पताल के लिए किया गया है। यह वर्तमान में खराब पड़ा हुआ है और इसकी जगह कोई वैकल्पिक व्यस्था नहीं की गई है। दूरस्थ गांव होने की वजह से 112 की भी यहां तैनाती की जा सकती है लेकिन वह भी नहीं की गई है। आपात स्थिति में लोगाें को एंबुलेंस के आने का इंतजार करना पड़ता है। स्थिति गंभीर और लंबी दूरी होने की वजह निजी वाहनों से ही मरीज को ले जाना पड़ता है।

जन्म के बाद गंभीर नवजात बच्चे को नहीं मिला आक्सीजन, मौत
जिले के शहरी क्षेत्रों में संचालित उप स्वास्थ्य केंद्राें के कर्मचारी पर अपनी जिम्मेदारी के प्रति लापरवाह होने का आरोप लगता रहता है। ढोढीपारा उप स्वास्थ्य केंद्र में आक्सीजन सुविधा नहीं होने के कारण एक नवजात बच्चे की मौत हो गई। स्वजनों ने अस्पाताल में जमकर हंगामा करते हुए इसे स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही बताते हुए कार्रवाई की मांग की है। कोहड़िया निवासी प्रकाश कुमार अपनी गर्भवती पत्नी दिव्या को रविवार को ढोढ़ीपारा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव के लिए भर्ती कराया था। उस समय डाक्टरों ने सामान्य प्रसव से जन्म होने की बात कही थी।

प्रकाश व उसके स्वजन प्रसव होने का इंतजार करते रहे। देर रात बीत जाने के बाद भी प्रसव नहीं हुआ और दिव्या की दशा बिगड़ती गई। अंत में आपरेशन के जरिए प्रसव किया गया। जन्म के बाद ही बच्चे की हालत ठीक नहीं थी। सुबह होते तक बच्चे का स्वास्थ्य और अधिक बिगड़ गया। प्रकाश व उसके स्वजन अस्पताल के डाक्टर को बुलाने के लिए मिन्नत करते रहे लेकिन समय पर डाक्टर नहीं पहुंचे। स्वास्थ्य कर्मियों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए और जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दे दी। बच्चे की दशा को देखते हुए एंबुलेेंस की सुविधा दी जा सकती थी लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों ने स्वजनों को गंभीर बच्चे के साथ उनके हाल पर ही छोड़ दिया।

आनन फानन में प्रकाश आटोरिक्शा में अपने नवजात बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा। स्वजनों का आरोप है कि आक्सीजन मास्क नहीं लगाए जाने के कारण नवजात बच्चे की रास्ते में ही मृत्यु हो गई। नाराज स्वजन मृत बच्चे को लेकर ढोढ़ीपारा अस्पताल वापस पहुंचे और यहां स्वास्थ्य कर्मियों को खरी खोटी सुनाई। किसी तरह मान मनौवल कर मामला शांत कराया गया।

सुविधाएं उपलब्ध कराने गंभीर नहीं प्रबंधन
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाएं तो है लेकर उसे उपलब्ध कराने के प्रति स्वास्थ्य प्रबंधन गंभीर नहीं है। प्रकाश का कहना हैं बच्चे की गंभीर दशा को देखते हुए उन्होने एंबुलेंस सुविधा की मांग की थी पर स्वास्थ्य कर्मियों कम दूरी का हवाला देते हुए आटो रिक्शा में ले जाने की सलाह दे दी। यदि बच्चे को एंबुलेंस सुविधा दी जाती तो वह जीवित होता।

जिला अस्पताल में 24 घंटे आक्सीजन युक्त वाहन उपलब्ध होने की बात कही जाती है लेकिन बच्चे की मौत ने इस व्यवस्था की कलाई खोल कर रख दी है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी एसएन केशरी ने कहा कि अस्पतालों में हुई दोनों ही घटनाओं की जानकारी मिली है। मामले में जांच के निर्देश दिए गए हैं। दोषियाें पर कार्रवाई की जाएगी। ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो इस दिशा में आवश्यक सुधार किया जाएगा।