चंद्रयान-3: सधे कदमों से चांद की राह पर लैंडर, अब महज 113 किमी दूर, सफल रही पहली डीबूस्टिंग

नईदिल्ली I चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल की गति धीमी (डीबूस्टिंग) करने की पहली प्रक्रिया सफल रही और अब वह चांद से महज 113 किमी की दूरी पर पहुंच गया है। इसरो ने शुक्रवार को बताया कि लैंडर मॉड्यूल पूरी तरह सामान्य तरीके से काम कर रहा है। उस पर लगे कैमरे ने चांद के करीब से खींचे गए कई मनोरम चित्र भी भेजे हैं।

पहली सफल डीबूस्टिंग के बाद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान वाला पूरा माॅड्यूल अब चांद से अधिकतम 157 किमी की दूरी वाली कक्षा पर है। दूसरी डीबूस्टिंग 19-20 अगस्त की दरम्यानी रात दो बजे होगी। 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी। लैंडर 35 दिन की अंतरिक्ष यात्रा के बाद बृहस्पतिवार को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हुआ था। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद छह पहियों वाला रोवर प्रज्ञान विक्रम से बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस (धरती के 14 दिन) की अवधि तक सतह पर प्रयोग करेगा।

100 मीटर की ऊंचाई से सतह को स्कैन करेगा फिर होगी साॅफ्ट लैंडिंग
इसरो के मुताबिक, लगभग 30 किमी की ऊंचाई पर, लैंडर पावर्ड ब्रेकिंग चरण में प्रवेश करता है और चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए अपने थ्रस्टर्स का उपयोग करना शुरू कर देता है। लगभग 100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचते ही लैंडर सतह को स्कैन करेगा और देखेगा कि कहीं कोई बाधा तो नहीं है। उसके बाद सॉफ्ट लैंडिंग के लिए नीचे उतरना शुरू करेगा।

तस्वीरों में साफ दिख रहे खड्ड
इसराे ने शुक्रवार को चंद्रयान-3 से भेजी गई चांद के करीब से ली गई तस्वीरों का एक सीक्वेंस जारी किया। लैंडर मॉड्यूल पर लगे कैमरे ने 15 अगस्त को इन तस्वीरों को खींचा है। इन तस्वीरों में चांद की सतह पर मौजूद खड्ड साफ दिख रहे हैं। इसरो ने इन क्रेटर्स को ‘फैब्री’, ‘जियोर्डानो ब्रूनो’ व ‘हारखेबी जे’ के रूप में दिखाया है। कुछ तस्वीरें लैंडर मॉड्यूल के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद खींची गई हैं।

देश को बड़े रॉकेटों की जरूरत : पूर्व इसरो प्रमुख
इसरो के पूर्व प्रमुख के सीवन ने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत हमेशा किफायती इंजीनियरिंग के भरोसे नहीं रह सकता। देश को बड़े रॉकेटों की जरूरत है और इसके लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में और निवेश करना होगा।

लूना मिशन 11 दिन में ही चांद के करीब
किफायती तकनीक के जरिये भेजे गए चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को उड़ान भरी थी और वह 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह को छुएगा। वहीं, रूस का लूना मिशन 10 अगस्त को लॉन्च हुआ और अपने बड़े रॉकेट के जरिये वह सिर्फ 11 दिन बाद 21 अगस्त को चंद्रमा पर उतर सकता है।

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