वर्धा। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में भारत संघ के 77वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में कुलपति प्रो. एल. कारूण्यकरा ने विश्वविद्यालय के वाचस्पति भवन के प्रांगण में ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर शिक्षकों, कर्मियों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत राष्ट्र के निर्माण में हिंदी विश्वविद्यालय किस रूप में योगदान दे सकता है, इस पर सोचने की आवश्यकता है। यही हम सबके लिए स्वतंत्रता दिवस का असली संदेश है। उन्होंने कहा कि हमें ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने में भी अपना योगदान देने की जरूरत है। हिंदी भाषा को ही प्रचारित करने में नहीं अपितु सांस्कृतिक मूल्यों को रक्षित करके आगे ले जाने और आने वाली पीढ़ी को उसे उपलब्ध कराने के लिए भी हमें काम करना है।
स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर हम सब को विश्वविद्यालय की बेहतरी के लिए शपथ लेनी चाहिए, यही भारत के निर्माण में हमारा योगदान होगा। हमें हर तरह के विकास में बाधा बन रहे जातिवाद को मिटाकर भारतीय पहचान को स्थापित करना चाहिए। प्रो. कारूण्यकरा ने कहा कि हिंदी भाषा का विश्वविद्यालय होने के कारण हमारी कुछ सीमाएं हैं।
इस पर इजरायल के हिब्रु विश्वविद्यालय, जेरूसलेम में इतिहास विभाग के प्रो. नोआ हरारी के पुस्तक होमो सेपीएन का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रो. हरारे ने हिब्रु भाषा में अत्यंत मौलिए पुस्तक लिखकर देश-दुनिया में पहचान बनायी है। यह अंग्रेजी तथा हिंदी में भी उपलब्ध है। इस संदर्भ में उनका कहना था कि ज्ञान को प्रचारित करने में भाषा कतई बाधा नहीं बननी चाहिए।
उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों से अपील करते हुए कहा कि हमें हमारी सीमाओं को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए हिंदी भाषा में नए ज्ञान का उत्पादन करने के लिए आगे आना चाहिए और यह हमारे गंभीर चिंतन-मनन का विषय भी होना चाहिए। हिंदी तो पूरे विश्व में बोली और समझी जाती है, इस दिशा में हम विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए कृतसंकल्पित होकर हम किसी भी विश्वविद्यालय से कमतर नहीं है यह दिखा सकते हैं। देश के प्रति महापुरुषों के बलिदान को याद करते हुए प्रो. कारूण्यकरा ने कहा कि उनके बलिदान के कारण ही आज हम आज़ादी का रसास्वाद ले रहे हैं। प्रारंभ में उन्होंने विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षकों, विद्यार्थियों, कर्मियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी।
ध्वजारोहण के पहले कुलपति प्रो. कारूण्यकरा ने महात्मा गांधी और बोधिसत्त्व डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। ध्वजारोहण समारोह के दौरान मंच पर सभी अधिष्ठाता, कुलसचिव एवं वित्ताधिकारी उपस्थित थे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय में 12 दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम में पधारे 22 देशों के 34 हिंदी शिक्षकों सहित विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष, अध्यापक, अधिकारी, कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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