रायपुर,13 अगस्त । इसी साल के अंत में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने को है। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में है। जहां एक ओर भाजपा अपनी पार्टी मजबूत करने की तैयारी में है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिए ये चुनाव बड़ा चुनौतीपूर्ण है। इसी बीच रविवार को लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह बीजेपी में शामिल हुए। वे कुशाभाऊ ठाकरे परिसर पहुंचे। और भाजपा का दामन थाम लिया। अपने सैकड़ों समर्थकों को भी भाजपा की सदस्यता दिलाई।
कौन हैं ये धर्मजीत सिंह
धर्मजीत सिंह पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के नजदीकियों में से एक हैं। 1998 में पहली बार लोरमी से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 2003 और 2008 में भी उन्हाेंने कांग्रेस की ओर से विधानसभा में लोरमी का प्रतिनिधित्व किया। 2003 में विधानसभा के उपाध्यक्ष भी चुने गए। दो बार उत्कृष्ट विधायक का पुरस्कार जीता। अजीत जोगी ने 2016 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बनाई तो धर्मजीत उनके साथ खड़े हो गए। 2018 के चुनाव में JCCJ के चुनाव चिन्ह पर जीतकर विधानसभा पहुंचे। उन्हें विधायक दल का नेता बनाया गया था।
अमित जोगी ने यह कहते हुए पार्टी से निकाला था
पिछले साल तक धर्मजीत सिंह जनता कांग्रेस के विधायक थे, तब अमित जाेगी ने कहा था, धर्मजीत जी उनके चाचा थे। लेकिन बड़े दुखी मन से उनके खिलाफ यह फैसला लेना पड़ा है। अमित जोगी ने कहा था कि विधायक धर्मजीत सिंह लगातार अन्य दल के संपर्क में रहकर अपने निजी स्वार्थ का ताना बाना बुनने में लगे रहे हैं। इन शिकायतों के संदर्भ में, पूर्व में अनेकों बार विधायक धर्मजीत सिंह के साथ चर्चा भी की गई पर उनके आचरण और विचार में कोई बदलाव नहीं आया।
धर्मजीत सिंह जिस पार्टी के चिन्ह पर चुनाव जीते और विधायक बने। उसी पार्टी की नीतियों को त्यागने और छत्तीसगढ़वाद की क्षेत्रीय विचारधारा को मिटाने का प्रयास करने के कारण उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया है। यह भी आशंका थी धर्मजीत सिंह पार्टी का ही भाजपा में विलय करा देंगे। पता चला तो पार्टी ने कार्रवाई करते हुए अपने विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह को ही पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था।
पार्टी से बाहर निकालने पर धर्मजीत सिंह ने क्या कहा था
विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा था कि पहले क्या हुआ यह मैं नहीं जानता, लेकिन अब मुझ पर कातिलाना हमले होंगे। मेरी हत्या भी कराई जा सकती है। उनकी पत्नी विशुद्ध रूप से गृहिणी हैं। उनका मेरी राजनीति से कोई लेना-देना भी नहीं है। इसके बाद भी 28 अगस्त को अमित जोगी ने उनकी पत्नी को फोन किया। बदतमीजी की जितनी सीमा वे लांघ सकते थे, वह लांघी। मेरी पत्नी के साथ गंदे शब्दों का इस्तेमाल किया। उनके साथ बातचीत में मेरे प्रति भी गंदे शब्दों का इस्तेमाल किया। उनकी नाराजगी इस बात की थी कि अमित शाह के कार्यक्रम में मैं और प्रमोद शर्मा क्यों गए थे। अगर कोई बात थी तो यह मुझसे करनी चाहिए थी।
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