कुसमुंडा-कोरबा मार्ग बना मौत का द्वार

अर्जुन मुखर्जी/ कोरबा, 13 अगस्त I जिला का पश्चिम क्षेत्र जिसे कोयलांचल क्षेत्र भी कहा जाता है जिसकी आबादी लगभग बीस लाख है।इस क्षेत्र में निवासरत अधिकतर लोग कोयला खदानों में कार्यरत है।कोयलांचल क्षेत्र में आने वाली क्षेत्र गेवरा,दीपका,कुसमुंडा और बांकी मोंगरा है और इनका जिले मुख्यालय से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क कुसमुंडा कोरबा मार्ग है जिसकी हालात विगत पांच वर्षो से बाद से बदतर है।यहां निवासरत श्रमिक संगठन के पदाधिकारी,राजनैतिक दल के नेता,व्यापारी संगठन और प्रेस मीडिया के लोगो ने सड़क जीर्णोधार ब नई सड़क निर्माण की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन और चक्का जाम किए गए जिसके बाद सन 2020 में एस.ई.सी.एल. के द्वारा दो सौ दस करोड़ की लागत से कुचेना मोड़ से सर्वमंगला चौक तक फोर लेन सड़क निर्माण की जिम्मेदारी लेते हुए जिला प्रशासन को किश्तों में भुगतान किया जा रहा है।

देखने वाली बात यह है की दो वर्ष बीत जाने के उपरांत भी केवल सत्तर प्रतिशत मार्ग निर्माण संभव हुआ है जिसकी गुणवत्ता पर भी कई सवाल उठने लगी है वही शेष बचे मार्ग पर विशालकाय गड्ढों की वजह से जाम और दुर्घटना आम बात हो गई है।भारी वाहनों के अत्यधिक दबाव के कारण धूल डस्ट के गुब्बारे सड़क पर चौबीस घंटे उड़ रहे है जिसका खामियाजा दो पहिया और हल्के वाहनों को अपनी जान गवाकर करनी पड़ रही है।

अगर बात करे आंकड़ों की तो पिछले दो वर्षो में लगभग 25-30 लोगो की जान जा चुकी है बावजूद इसके जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने कोई ठोस कदम उठाना मुनासिब नहीं समझा जिससे सड़क निर्माण के कार्यों में गति आ सके और आम जनता को इन सब समस्याओं से तत्काल निजात मिल सके और यातायात सुगम हो सके वही ट्रैफिक व्यवस्था को सुधार लाने और जाम पर नियंत्रण करने के लिए ट्रैफिक पुलिस की तैनाती की जाए जिससे भारी वाहनों के अनियंत्रित गति और मनमाने रवैया पर अंकुश लग सके I