जगदलपुर, 08 अगस्त । प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप आदिम जाति और गैर परम्परागत वन निवासी अधिनियम 2006 के प्रभावी क्रियान्वयन के फलस्वरूप बस्तर संभाग में वनांचल के रहवासियों को बड़े पैमाने पर वन भूमि का वनाधिकार मान्यता पत्र प्रदान किया गया है, जिससे इन वनाधिकार पट्टेधारकों को खेती-किसानी को बढ़ावा देने सहित अन्य आयमूलक गतिविधियों के जरिये आय संवृद्धि करने में सहायता मिली है।
बस्तर संभाग में वनाधिकार अधिनियम 2006 को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर कार्यान्वयन किये जाने के परिणामस्वरूप अभी तक एक लाख 63 हजार से अधिक हितग्राहियों को व्यक्तिगत वनाधिकार मान्यता पत्र प्रदान किया गया है। वहीं सामुदायिक प्रयोजन के लिए साढ़े 22 हजार से ज्यादा सामुदायिक वनाधिकार पत्र तथा डेढ़ हजार से अधिक सामुदायिक वन संसाधन पत्र समुदाय को प्रदान किया गया है।
बस्तर संभाग कमिश्नर श्याम धावड़े द्वारा समूचे बस्तर के सभी जिलों में वनाधिकार अधिनियम को प्रभावी रूप से क्रियान्वित किये जाने के लिए जारी दिशा-निर्देश के तहत 01 लाख 63 हजार 488 हितग्राहियों को 01 लाख 73 हजार 788 हेक्टेयर रकबा का व्यक्तिगत वनाधिकार मान्यता पत्र प्रदान किया गया है।
इसके साथ ही इन वनाधिकार पट्टेधारकों को किसान ऋण पुस्तिका वितरित किया गया है और खेती-किसानी के लिए आवश्यक खाद-बीज एवं अन्य आदान सहायता प्रदान करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड प्राथमिकता के साथ दिया जा रहा है।
वहीं इन किसानों को समर्थन मूल्य पर धान विक्रय करने के लिए सहकारी समितियों में किसानों का पंजीयन किया जा रहा है। इन वनाधिकार पट्टेधारकों में से 76 हजार 26 हितग्राहियों को मनरेगा के तहत 636 करोड़ 36 लाख रूपए लागत के भूमि समतलीकरण, मेड़ बंधान, कंुआ निर्माण, डबरी एवं तालाब निर्माण, गौ-पालन, बकरी पालन, कुक्कुट पालन शेड निर्माण इत्यादि व्यक्तिमूलक कार्यों के लिए सहायता दी गई है।
जिससे उक्त सभी किसान उन्नत खेती-किसानी सहित साग-सब्जी उत्पादन, मछली पालन, कुक्कुट पालन आदि आयमूलक गतिविधियों के माध्यम से आय संवृद्धि कर रहे हैं। बस्तर संभाग में स्कूल, स्वास्थ्य केन्द्र, आंगनबाड़ी केन्द्र भवन, ग्राम पंचायत भवन, खेल मैदान इत्यादि सामुदायिक प्रयोजन के लिए अब तक 22 हजार 521 से ज्यादा करीब 5 लाख 92 हजार हेक्टेयर रकबा का सामुदायिक वनाधिकार पत्र समुदाय को प्रदान किया गया है।
जिसमें आदिवासी संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में 3021 देवगुड़ी और मातागुड़ी तथा 228 घोटुल व 86 प्राचीन मृतक स्मारक सम्मिलित हैं। आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए सकारात्मक पहल कर सभी देवगुड़ी एवं मातागुड़ी सहित घोटुल व प्राचीन मृतक स्मारकों को राजस्व अभिलेख में दर्ज करने सहित लगभग डेढ़ हजार हेक्टेयर रकबा संरक्षित किया गया है।
साथ ही देवी-देवता के नाम जमीन को संरक्षित कर जमीन पर अवैध कब्जा होने से बचाने और देव स्थल के समीप स्थित पेड़-पौधों को सुरक्षा प्रदान की गई है। जिससे उक्त आस्था और सांस्कृतिक धरोहरों के विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। बस्तर संभाग में वनोपज संग्रहण, वनों के संरक्षण एवं समुचित दोहन और देखभाल की ओर समुदाय की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने की दिशा में अब तक 161 सामुदायिक वन संसाधन पत्र के माध्यम से 8 लाख 38 हजार 399 हेक्टेयर रकबा का अधिकार समुदाय को प्रदान किया गया है।
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