रायपुर,03 अगस्त I छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को स्मार्ट बनाने के लिए रायपुर नगर निगम ने घरों के बाहर डिजिटल नंबर प्लेट लगाई थी. मगर अब डिजिटल नंबर प्लेट की सर्वे टीम जब सर्वे करने पहुंची तो मामला चौंकाने वाला निकला. दरअसल 58000 ऐसे घरों का पता चला जिनके मालिकों की जानकारी निगम के पास है ही नहीं अब ऐसे में प्रॉपर्टी टैक्स वसूली करने में निगम को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
स्मार्ट बनाने लगाई डिजिटल प्लेट, लोगों को पता ही नहीं इस्तेमाल क्या है ?
निगम ने घरों के बाहर नंबर प्लेट तो लगा दी हैं लेकिन इसका उपयोग क्या है लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. हमने जब लोगों से पूछा की ये प्लेट किस काम आता है ? आपके घर के बहार लगा हुआ है ? तो सामने से जवाब आया 2 लोग आके लगा के गए है , कुछ बताये ही नहीं कैसे क्या करना है. दरअसल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत निगम ने “मोर रायपुर एप” लांच किया था यह एप शहर के लोगों को 32 प्रकार की सुबिधायें मुहैया करवाता है। एप के जरिए प्रॉपर्टी टैक्स, प्लंबर, पानी का बिल और नियरबाई में उपलब्ध सेवाओं की जानकारी देता है।
मालिकों के घरों का रेकॉर्ड खंगालेगा नगर निगम
डिजिटल डोर प्लेट लगाने के दौरान जिन 58000 घरों के मालिकों का अब तक पता नहीं चला है. अब नगर निगम उन सभी के रेकॉर्ड खंगालने का काम पर निगमायुक्त ने कर्मचारियों को लगा दिया है. नगर निगम के आयुक्त मयंक चतुर्वेदी ने सभी जोन के अधिकारियों की बैठक लेकर उन्हें घरों की जानकारी इकट्ठी करने के निर्देश दिए हैं.
करोड़ों का खर्चा और ये है हाल ?
राजधानी के घरों में डिजिटल नंबर प्लेट ढाई लाख घरों में लगाई जानी हैं लेकिन अभी तक 1 लाख 27 हज़ार घरों में लगाई जा चुकी है। यह काम मार्च में पूरा होना था जो अब सितंबर महीने में पूरा होगा। पहले इस एप को लेकर हमने जब अधिकारीयों से इसकी चर्ची की तो उन्होंने बताया था की एप बनाने का खर्च करीबन 6 लाख रुपए आया है। साथ ही पूरे प्रोजेक्ट का खर्च 3 करोड़ रुपए है निगम ने अनुसार एप के हजारों यूजर्स हैं और करोड़ों रुपए के ट्रांज़ेक्शन एप के ज़रिए हो रहे हैं
बकायादारों को नगर निगम देगी नोटिस
अधिकारियों को यह भी कहा गया है कि बकायेदारों की सूची तैयार कर उन्हें नोटिस देकर टैक्स की वसूली में तेजी लाई जाए. निगम के अफसरों ने प्रॉपर्टी मालिकों को ढूंढने की मशक्कत भी शुरू कर दी है. आचार संहिता से पहले अफसरों को टैक्स वसूली में तेजी लाने को कहा गया है. क्योंकि उस समय केवल मूलभूत काम ही हो सकेंगे.
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