KORBA :दखिणमुखी हनुमान मंदिर निर्माण के 17 वर्षों के बाद नवनिर्माण


कोरबा,20 जुलाई। मुझे इस मंदिर के निर्माण की प्रेरणा स्व. जगन्नाथ महाराज सीतामणी (कोरबा) राम मंदिर एवं स्व. मुक्तिनाथ झा प्रखर विद्वान व ज्ञानी और उनके शिष्य, कामख्या गौहाटी आसाम से प्राप्त हुई है। मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव दिनांक 16.05.2006 को बनारस से पधारे हुए 5 प्रखर एवं विद्वान पंडितों के सानिध्य में विधि विधान से 5 दिन तक श्रीमान सम्राट चक्रवर्ती एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमति अंकिता चक्रवर्ती के द्वारा पूजापाठ कर संपन्न हुआ था। मंदिर की दिवारों मे हनुमानजी के 20 गुणगान अंकित किए गए है, जो किसी भी छत्तीसगढ़ के मंदिर में नहीं है। ये शायद ही कहीं ओर उपलब्ध हो। मैं उन सभी दानदाताओं का ह्रदय से आभार प्रकट कर अभिवादन करता हूं। दखिणमुखी हनुमान मंदिर निर्माण के 17 वर्षों के बाद नवनिर्माण किया गया है।


दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, कोसाबाड़ी, कोरबा के रखरखाव एवं जीर्णोद्धार हेतु श्रीमान जयसिंह अग्रवाल, राजस्व मंत्री (केबिनेट) छ.ग. शासन, राजकिशोर प्रसाद (महापौर) नगर पालिक निगम कोरबा, प्रभाकर पांडे (आयुक्त) नगर पालिक निगम कोरबा, दिनेश लाम्बा एवं श्रीमती अरूणा लाम्बा पूर्व संचालक (न्यु ऐरा प्रोग्रेसिव स्कुल कोरबा), डॉ. सुबोध थवाईत, डॉ.अशोक माखीजा , डॉ. संदीप दवे, रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर, रायपुर गुजराती समाज के प्रेमजी भाई पटेल एवं देवराम भाई पटेल तथा अन्य भक्तजन, मा. शैलेन्द्र शुक्लजी प्रखर विद्वान एवं पावर मेन रायपुर भारत, पी. सुंदरराज आईजी जगदलपुर, निहारिका निवासी रामाधार कौशिक (होटल व्यवसायी), पवन अग्रवाल संचालक आॅटो सेंटर, अशोक ऋषि होंडा ऐजेसी के मालिक कोरबा बिलासपुर, महेश कुमार थापर पूर्व सीएमडी एसईसीएल हालमुकाम नई दिल्ली, ए. घोष ,भिलाई, श्रीमान अमजद अली अध्यक्ष नगर पालिक निगम ठेकेदार संघ, इंजीनियर गोयल एवं आर.के.माहेश्वरी, श्रीमान रामु पांडे (सफाई ठेकेदार), श्रीमान अशोक तिवारी वरिष्ठ अधिवक्ता, छन्नुसिंग ठाकुर, डी.आर. राखुण्डे, सुरजीत सिंग, उपाध्याय ( कर्मचारी वर्षा मेडिको), दिनेश झा (परिवहन नगर), रविदं्रन उदयभाानु मलयाली समाज, निलाम्बर यादव (निजी सचिव आयुक्त निगम) सोमनाथ दहेरे इंजी. निगम, प्रेमचंद अर्जुनदास (व्यापारी), अमित सिंग (मीनु मोबाइल), समयलाल पटेल, सुरजित सिंह राजेंद्र नगर फेस 1 एवं राजेंद्र नगर फेस 1 की हनुमान भक्त महिला टीम जो रोज शाम को कीर्तन करते है एवं प्रबुद्ध भक्तजनों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है उन्हें शत् शत् प्रणाम।