History of Cricket: लंबा और टेढ़ा-मेढ़ा है क्रिकेट का इतिहास, ऐसे दुनिया भर में फैला फिरंगी खेल का जादू

 खेल का जिक्र आते ही हमारे मन मस्तिष्क में कई सारे खेलों की छवि उभर आती है। परन्तु एक खेल ऐसा भी है जो शायद सबसे पहले हमारी जुबां पर अपना नाम दर्ज करा जाता है और वो है क्रिकेट। पिछले कुछ दशकों में क्रिकेट ने देश के लोगों को दीवाना कर रखा है। क्रिकेट का खेल आयोजित करके राष्ट्रों के बीच दोस्तियां बनाई जाती हैं। सच कहा जाए तो यह खेल धीरे-धीरे एकता का प्रतीक बनता जा रहा है।

एक जमाने में क्रिकेट फिरंगी खेल था, लेकिन वहां से निकल कर यह दुनिया के विकसित और विकासशील देशों में जा पहुंचा। आज जिस रूप में हम क्रिकेट के खेल को देखते हैं, ये पहले ऐसा नहीं था। आज हम आपको, इसके लंबे और टेढ़े-मेढ़े सफर के इतिहास के बारे में बताएंगे। 

बात इतिहास की, जब शुरू हुआ क्रिकेट

आधुनिक क्रिकेट, इंग्लैंड के लोगों की उपज मानी जाती है। फ्रेंच भाषा के एक शब्द ‘Croquet’ से ही क्रिकेट नाम की उत्पत्ति मानी जाती है। विशेषज्ञों की आम सहमति है कि क्रिकेट की उत्पत्ति आज से कई सौ साल पहले सैक्सन या नॉर्मन (450 ई. या 1066 ई.) काल में हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड के वेल्ड में रहने वाले बच्चों ने उस दौरान इस खेल को खेला था। क्रिकेट को वयस्क खेल के रूप में खेले जाने का पहला प्रमाण 1611 ई. में मिलता है। उस दौरान इसे लड़कों के खेल के रूप में परिभाषित किया गया था।

ग्रामीण खेल के रूप में मिली पहचान

इंग्लैंड में पहले क्रिकेट को अलग-अलग नियमों के तहत गेंद-डंडे से खेला जा रहा था। सत्रहवीं सदी में एक क्रिकेट को ग्रामीण खेल के रूप में आम पहचान मिली। धीर-धीरे यह इतना लोकप्रिय हो गया कि लोग रविवार को चर्च न जाकर मैच खेलने निकल जाते थे। ऐसे में क्रिकेट के दीवानों पर जुर्माना लगाया जाता था। 17वीं सदी के मध्य तक ग्रामीण क्रिकेट विकसित हो चुका था और पहली अंग्रेजी ‘काउंटी टीमें’ सदी के उत्तरार्ध में बनाई गईं। गांव के जानकारों को क्रिकेट के स्थानीय विशेषज्ञों के रूप में नियुक्त किया गया। 1709 में पहली बार टीमें काउंटी नाम का उपयोग करने लगी थीं।

पुरुषों के अलावा महिलाओं ने भी थामा हाथ में बल्ला

18वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में क्रिकेट ने खुद को लंदन और इंग्लैंड के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्रों में काउंटी खेल के रूप में एक प्रमुख खेल के रूप में स्थापित किया। इंग्लैंड के औपनिवेशिक क्षेत्रों के प्रसार के चलते यह धीरे-धीरे इंग्लैंड के अन्य हिस्सों में लोकप्रियता हासिल कर रहा था। 1744 ईस्वी में क्रिकेट के पहले नियम लिखे गए। इसके एक साल बाद ही महिलाओं ने भी क्रिकेट के खेल में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। 1745 में महिला क्रिकेट का पहला ज्ञात मैच खेला गया।

दुनिया का पहला क्रिकेट क्लब हैम्बलडन में 1760 ईस्वी में बना। 1744 में बनाए गए क्रिकेट के नियम, 1774 में संशोधित किए गए। इस बार एलबीडब्ल्यू, मध्य स्टंप और अधिकतम बल्ले की चौड़ाई जैसी नई चीचें जोड़ी गईं। इन नियमों को कोड स्टार एंड गार्टर क्लब द्वारा तैयार किया गया था। इस क्लब के सदस्यों ने 1787 ईस्वी में लॉर्ड्स में प्रसिद्ध मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब की स्थापना की। एमसीसी (MCC) को क्रिकेट कानूनों का संरक्षक बनाया गया। तब से लेकर आज तक इसमें कई संशोधन किए गए हैं।

ऐसे पहुंचा अन्य देशों में

एमसीसी के गठन और 1787 में लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड के खुलने तक हैम्पशायर में हैम्बलडन क्लब लगभग तीस वर्षों तक खेल का केंद्र बिंदु रहा। क्रिकेट 17वीं शताब्दी की शुरुआत में अंग्रेजी उपनिवेशों के माध्यम से उत्तरी अमेरिका में लाया गया। 18वीं शताब्दी में यह दुनिया के अन्य हिस्सों में पहुंचा। इसे वेस्टइंडीज में उपनिवेशवादियों द्वारा और भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नाविकों द्वारा लाया गया था। 1788 में उपनिवेशीकरण शुरू होते ही यह ऑस्ट्रेलिया में पहुंच गया और 19वीं शताब्दी के शुरुआती वर्षों में यह खेल न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका तक पहुंच गया। जब इंग्लैंड के औपनिवेशिकरण का सूर्य अस्त हो रहा था, तब 15 जून 1909 को आईसीसी की स्थापना की गई और इसे क्रिकेट का संरक्षक बनाया घोषित किया गया।

भारत में क्रिकेट का विकास

भारत में क्रिकेट 18वीं सदी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा लगाया गया। क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ने की वजह से 1792 में पहले क्रिकेट क्लब निर्माण कोलकाता में हुआ। पहला फर्स्ट क्लास मैच 1864 में चेन्नई खेला गया। इंग्लैंड की क्रिकेट टीम पहली बार 1890 में भारत में खेलने आई थी। आजादी के बाद क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ी और दिसंबर 1928 में बीसीसीआई (BCCI) की स्थापना की गई।

भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच 25 जून 1932 को लॉर्ड्स मैदान इंग्लैंड में इंग्लैंड टीम के खिलाफ खेला था। पहला वनडे मैच 13 जुलाई 1974 को इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स में खेला। 1960 ईस्वी में भारतीय टीम में कई सुधार किए गए। 80 तक आते-आते सुनील गावस्कर के बाद कपिल देव को कप्तान बनाया गया। 1983 में उन्हीं की कप्तानी में भारत ने पहला वनडे वर्ल्ड कप जीता। आज दुनिया में किसी भी अन्य देश से ज्यादा क्रिकेट के दीवाने भारत में देखने को मिलेंगे।

डिस्कलेमरः इस स्टोरी का संदर्भ NCRT बुक के “इतिहास और खेलः क्रिकेट की कहानी” चैप्टर से लिया गया है। साथ ही ICC की आधिकारिक साइट से कुछ आंकड़े जुटाए गए हैं।

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