सामाजिक न्याय और अधिकारिता की ओर आगे बढ़ना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रेरणादायी नेतृत्व में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय समाज में हाशिए पर रहने वाले और वंचित समुदायों, जैसे एससी, ओबीसी, ईबीसी, डीएनटी, ट्रांसजेंडर, वरिष्ठ नागरिक, सफाई कर्मचारी आदि के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले नौ वर्षों में इन समुदायों के लोगों के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण समेत विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति देखी जा रही है। पिछले नौ वर्षों में, भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा कुछ प्रमुख योजनाएं कार्यान्वित की गयीं हैं।

“भारत में अध्ययन के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों को मैट्रिक के बाद दी जाने वाली छात्रवृत्ति” का उद्देश्य सबसे गरीब घरों के अनुसूचित जाति के छात्रों के सन्दर्भ में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि करना है। 2019-20 के दौरान 11-12वीं में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों का सकल नामांकन अनुपात 52.9% था, जो 2020-21 के दौरान बढ़कर 56.1% और 2021-22 के दौरान 61.5% हो गया। 2014-15 से अनुसूचित जाति के 4.87 करोड़ से अधिक छात्रों को लगभग 29828.80 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता प्राप्त हुई है। “अनुसूचित जाति और अन्य के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति योजना”, अनुसूचित जाति के उन छात्रों के लिए है, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक नहीं है। 2019-20 के दौरान 9-10वीं में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों का सकल नामांकन अनुपात 83% था, जो 2020-21 के दौरान बढ़कर 84.8% और 2021-22 के दौरान 84.9% हो गया। 2014-15 से अनुसूचित जाति के 2.31 करोड़ से अधिक छात्रों को 3528.17 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता प्राप्त हुई है। “उपलब्धि हासिल करने वाले युवाओं की उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति योजना (श्रेयस) तथा निःशुल्क कोचिंग (एफसीएस)” के तहत एससी और ओबीसी के 19995 से अधिक छात्रों को 2014-15 से केंद्रीय सहायता के रूप में 109.79 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

“एससी के लिए शीर्ष श्रेणी की छात्रवृत्ति योजना (टीसीएस)” के तहत 2014-15 से 21988 से अधिक एससी छात्रों को  केंद्रीय सहायता राशि के रूप में 399.15 करोड़ रुपये जारी किए गए। “अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना (एनओएस)” के तहत अनुसूचित जाति, गैर- अधिसूचित, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों और पारंपरिक कारीगर श्रेणियों के 950 से अधिक चयनित छात्रों को केंद्रीय सहायता के रूप में 2014-15 से 222.24 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गयी। “एससी छात्रों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप (एनएफएससी)” के तहत 2014-15 से 21066 से अधिक छात्रों को केंद्रीय सहायता राशि के रूप में 1628.89 करोड़ रुपये जारी किए गए। “लक्षित क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए उच्च विद्यालयों में आवासीय शिक्षा योजना (श्रेष्ठ)” के तहत 2014-15 से 3.18 लाख से अधिक छात्रों को केंद्रीय सहायता के रूप में 457.22 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गयी।

प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (पीएम-एजेएवाई) का लक्ष्य कौशल विकास, आय-सृजन योजनाओं और अन्य पहलों के माध्यम से अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा सृजन करना है। पीएम-एजेएवाई एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसमें 03 पूर्ववर्ती केंद्र प्रायोजित योजनाओं को शामिल किया गया है, जो इस प्रकार हैं – (i) पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना का आदर्श ग्राम घटक; 2022-23 में 11500 अन्य गांवों को भी शामिल किया गया है; 4351 गांवों को पहले ही आदर्श ग्राम घोषित किया जा चुका है (ii) अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीए से एससीएसपी) के लिए विशेष केंद्रीय सहायता; वित्तीय सहायता 50,000 रुपये या परियोजना लागत का 50%, जो भी कम हो, प्रति लाभार्थी या परिवार है (iii) छात्रावास घटक {पूर्ववर्ती बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना (बीजेआरसीवाई)}। पीएम-एजेएवाई योजना के तहत 2023-24 के लिए कुल अनुमानित परिव्यय 2050.00 करोड़ रुपये है।      

“राष्ट्रीय यंत्रीकृत स्वच्छता इकोसिस्टम कार्रवाई (नमस्ते)” का उद्देश्य सीवर और सेप्टिक टैंक श्रमिकों की मौत को रोकने और स्वच्छता कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सफाई कार्यों के मशीनीकरण को बढ़ावा देना है। बैंकों द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं के लिए 5.00 लाख रुपये तक की पूंजीगत सब्सिडी और ब्याज सब्सिडी प्रदान की जाती है। “हाथों से मैला सफाई करने वाले सफाईकर्मियों के पुनर्वास के लिए स्व-रोज़गार योजना (एसआरएमएस)” के एक भाग के रूप में, 2014-15 से ऐसे 22,294 सफाईकर्मियों और उनके आश्रितों को विभिन्न कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों में नामांकित किया गया है। 508 जिलों ने कर्मियों द्वारा मैला सफाई की प्रथा से स्वयं को मुक्त घोषित कर दिया है।  

“अटल वयो अभ्युदय योजना (एवीवाईएवाई)” वरिष्ठ नागरिकों के लिए आश्रय, वित्तीय सुरक्षा, भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और मानवीय संपर्क या गरिमापूर्ण जीवन की सुविधा देती है। 2014-15 से 6,67,330 लाभार्थियों को 511.81 करोड़ रुपये वितरित किये गये हैं। 2019-20 से 2022-23 तक “वरिष्ठ नागरिकों के लिए राज्य कार्ययोजना (एसएपीएसआरसी)” योजना के तहत 43.13 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। 2017-18 से, आरवीवाई के तहत आयोजित 265 शिविरों में 2,99,942 लाभार्थियों को 24,649.98 लाख रुपये की कीमत के कुल 12,24,645 उपकरण वितरित किए गए हैं।

“नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए)” 15 अगस्त 2020 को 32 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के 272 जिलों के लिए तैयार और लॉन्च किया गया था। अभियान की गतिविधियों में लगभग 3.08 करोड़ से अधिक युवाओं, 4,000 से अधिक युवा मंडलों, एनवाईकेएस और एनएसएस के स्वयंसेवकों और युवा क्लबों ने भाग लिया है। देश भर के 6000 से अधिक स्कूलों के 13 लाख से अधिक छात्रों के साथ संपर्क स्थापित किया गया है।    

“प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष)” का उद्देश्य नौकरी खोजने या स्व-रोज़गार उद्यम शुरू करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाला कौशल प्रदान करना है। वित्त वर्ष 2020-21 में लाभार्थियों की संख्या लगभग 32097 और 2022-23 में लगभग 35484 थी। हमारे संवेदनशील प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के उत्कृष्ट नेतृत्व में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय पिछले 9 वर्षों से समाज के वंचित वर्ग के सम्मान, प्रगति और सभी प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं के लिए लगातार काम कर रहा है और मंत्रालय ने प्रतिष्ठित उपलब्धियाँ भी हासिल कीं हैं।