13 जुलाई को है कामिका एकदशी, विष्णु भगवान के साथ पूर्वज भी होते हैं प्रशन्न

कामिका एकादशी सावन महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ती है। इस बार यह एकादशी 13 जुलाई को है। कहा जाता है कि इस एकादशी के व्रत को ब्रह्मा ने भी रखा था। कामिका एकादशी का एक फल तो ये मिलता ही है कि विष्णु की पूजा अर्चना करने से विष्णु और साथ में लक्ष्मी जी की भी कृपा बरसती है। दूसरा सबसे महत्वपूर्ण फल ये मिलता है कि एकादशी की रात में दिया जला कर विष्णुजी की भक्ति की जाए तो ऐसा कहा जाता है कि पूजा करने वाले के पूर्वज बहुत प्रसन्न होते हैं। उन्हें अमृत पीने जैसा लाभ मिलता है।

कमिका एकादशी का मुहूर्त
इस साल यानी 2023 में जुलाई माह में श्रावण का महीना पड़ रहा है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में 13 जुलाई दिन गुरुवार को कामिका एकादशी है। 12 जुलाई को शाम 5 बजकर 59 मिनट से एकादशी का मुहूर्त प्रारंभ होगा और 13 जुलाई को शाम 6 बजकर 24 मिनट पर मुहूर्त संपन्न होगा। उदया तिथि को मानते हुए व्रत 13 जुलाई को रखा जायेगा। इसके बाद 14 जुलाई को पारण किया जायेगा।कामिका एकादशी व्रत पारण का शुभ समय 14 जुलाई 2023 को सुबह 05 बजकर 32 मिनट से सुबह 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।

कामिका एकादशी कथा
कामिका एकादशी कथा कहती है कि एक बार ब्रह्मा देव ने उमा देवी से पूछा, अहिल्या, गंगा, यमुना और सरस्वती के साथ तुलना करते हुए, तुम्हारा क्या मतलब है? उमा देवी ने उत्तर दिया, भगवान, मैं दुर्गा, काली, जगदम्बा, लक्ष्मी, सरस्वती, पार्वती, राधा और सीता हूँ। मैंने सभी देवीदेवताओं के रूप में प्रकट होने का आशीर्वाद दिया है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति की है। ब्रह्मा देव ने विचार किया और उमा देवी से पूछा, “क्या तुमने कभी अपनी स्तुति की है? उमा देवी ने कहा, भगवान, मैंने अपनी स्तुति कभी नहीं की है क्योंकि मैं अपने द्वारा बनाई गई सृष्टि के प्रतीक हूँ।

मुझे स्तुति करने वाला ही सृष्टि का संहार भी कर सकता है। ब्रह्मा देव ने यह सुनकर आश्चर्य किया और उमा देवी से कहा, तुम्हारी यह सामर्थ्य मुझे अद्भुत लगती है। मैंने सोचा है कि मानवों को तुम्हारी महिमा के बारे में बताया जाना चाहिए। इसके बाद ब्रह्मा देव ने कामिका मास (मास का एकादशी) में उमा देवी की स्तुति करने का निर्णय लिया। इस व्रत के माध्यम से भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने का व्रती को मौका मिलता है।यही कारण है कि कामिका एकादशी व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत अपनी आराध्य देवी की कृपा प्राप्त करने, पापों का नाश करने, धार्मिक तपस्या का पालन करने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अद्यात्मिक उत्सव है।

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