गुरु पूर्णिमा : गुरु-शिष्य के अटूट बंधन को अघोर गुरु पीठ बनोरा ने किया मजबूत

रायगढ़ ,03 जुलाई ।  पिछले तीन दशकों में अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा ने गुरु शिष्य के अटूट बंधन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। रायगढ़ से 12 किमी दूर पूर्वांचल क्षेत्र में स्थित अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा की आध्यात्मिक हरियाली आने वाली पीढ़ी के लिए पथप्रदर्शक की भूमिका निभायेगी। वेदों में यह बताया गया है कि गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म भी है। गुरु का स्थान गोविंद से भी ऊंचा माना गया है।


जीवन में मौजूद अज्ञानता के अधकार गुरु की सनिध्यता से आसानी से समाप्त हो जाता है। सही मायने में जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर कर जीवन में  प्रकाश भरने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है। मनुष्य के लिए गुरु एवम देवता की भक्ति एक सी होनी चाहिए। ईश्वर का साक्षात्कार भी गुरु के जरिए संभव है। गुरु कृपा का अभाव जीवन को समस्या ग्रस्त बनाता है। तमसो मा ज्योतिगर्मय’’ अंधकार की बजाय प्रकाश की ओर ले जाना ही गुरुत्व है।

वैश्विक स्तर पर बहुत ही मौजूद समस्याओं का कारण  गुरु-शिष्य परंपरा का टूटना ही है। मानव समाज के लिए निर्मित इस सृष्टि में सबसे पहले परमात्मा ने पंच तत्वों में आकाश, वायु, अग्रि, जल, पृथ्वी, सूर्य, चंद्रमा, पेड़-पौधे, वनस्पतियों का निर्माण किया। मनुष्य इस धरती पर परम पिता परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति ही है। सभी प्राणियों  में मनुष्य की बौद्धिक क्षमता सर्वाधिक है, ताकि अच्छे-बुरे का चिंतन कर उसमें भेद कर सके। 

आध्यात्मिक ज्ञान के स्त्रोत पूज्य बाबा प्रियदर्शी के पावन रज पाकर बनोरा की पुण्य भूमि आध्यात्मिक त्रिवेणी का स्त्रोत बन गई। पूज्य पाद प्रियदर्शी राम  ने गुरु शिष्य परंपरा के जरिए समाज में व्याप्त अज्ञानता के अंधकार को दूर कर उसे प्रकाश मय बनाया। बाबा प्रियदर्शी राम ने समाज को यह बताया कि ईश्वर रचित संसार में मनुष्य का आगमन विशेष उद्देश्य के लिए हुआ है। हर मानव के अंदर मौजूद ईश्वर तत्त्व के जरिए सदविचार, सदव्यव्हार, सद आचरण योग प्राणायाम और सद आहार से सुख शांति समृद्धि हासिल कर आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकरणीय मिशाल बन सके। बाबा प्रियदर्शी राम इस बात को समझते थे कि कलह कलेश के इस युग में लोभ, माया, ईष्या, द्वेष के दलदल में फंसा शक्तिहीन मनुष्य राष्ट्र निर्माण नही कर सकता, लेकिन अघोर पंथ के मूल्यों को आत्मसात कर मनुष्य मजबूत राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकता है।

बाबा प्रियदर्शी के कर कमलों से अघोर गुरु पीठ की नीव अघोर पंथ के मूल्यों की स्थापना के लिए की गई। अपनी स्थापना के साथ ही अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा मानव समाज के चरित्र निर्माण की पाठशाला बना हुआ है। बाबा प्रियदर्शी राम यह समझते है कि सबल मनुष्य से ही समाज मजबूत होगा और राष्ट्र को सबल बनाने का सपना साकार होगा। एक दिन जीवन के राख हो जाने की कल्पना मनुष्य को भयभीत कर देती है बाबा प्रियदर्शी राम ने समाज को इस भय से बाहर निकलने का मंत्र बताया। जीवन के राख बन जाने की  सच्चाई वर्तमान की खुशियों को खत्म कर सकती हैं। इसलिए जन्म से लेकर श्मशान तक की अंतिम यात्रा के मध्य के सफर को स्वर्णिम बनाने का सहज तरीका भी पूज्य अघोरेश्वर ने अपने शिष्य बाबा प्रियदर्शी रामजी को बताया।

बनोरा में आज गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन

अघोर गुरू पीठ ब्रम्हनिष्ठालय में आज  पूज्य औघड़ संत प्रियदर्शीराम  अपने शिष्यों को दर्शन देंगे इसके पहले  प्रातः 6.30 बजे श्री गणेश पीठ में शक्ति ध्वज पूजन व सफल योनी का पाठ, प्रातः 7 बजे पूज्य औघड़ संत प्रियदर्शीरामजी द्वारा श्री गुरुचरण पादुका पूजन एवं हवन, प्रातः 8 बजे सामूहिक आरती एवं प्रातः 8.30 बजे सामूहिक गुरुगीता का पाठ, प्रातः 9 बजे से मध्यान्ह 12.30 बजे तक श्री गुरु दर्शन, मध्यान्ह 12.30 से 3.30 बजे तक सामूहिक प्रसाद वितरण अपराहन 4.30 बजे से श्री गुरूदेव का आशीर्वचन रहेगा।

बाबा प्रियदर्शी राम  ने अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा में ही सेवा का बीज रोपा आज वह वट वृक्ष बन गया। आज यह आश्रम समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े बेसहारा लोगों को नि: शुल्क चिकित्सा व शिक्षा सेवा उपलब्ध करा कर मिथक स्थापित कर रहा है। जिन उद्देश्यों को लेकर आश्रम की स्थापना की गई वे आज समाज के लिए प्रेरणादायी साबित हो रहे हैं।

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