नई दिल्ली । केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने शुक्रवार को सूचीबद्ध विश्व धरोहर स्थलों के चित्रण वाले बैंक नोटों की प्रदर्शनी में कहा कि अगर दुनिया को आगे बढ़ना है और मानवता को जीवित रखना है तो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के भारतीय दर्शन का अनुसरण करना पड़ेगा। श्रीमती लेखी ने यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में ‘बैंकिंग ऑन वर्ल्ड हेरिटेज’ के उद्घाटन के दौरान यह बात कही। इस प्रदर्शनी में यूनेस्को द्वारा सूचीबद्ध विश्व धरोहर स्थलों के चित्रण वाले बैंक नोटों को प्रदर्शित किया गया है।
इसे स्वतंत्र शोधकर्ता और ‘मनी टॉक’ संस्था की संस्थापक रुक्मिणी दहानुकर ने क्यूरेट किया है। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी अधिकतर डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले युवाओं को बैंक नोटों के माध्यम से अपनी विरासत से जोड़ने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि विरासत स्थलों का चित्रण करेंसी नोटों के तात्त्विक मूल्य को बढ़ाता है। इस अवसर पर आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि इस प्रदर्शनी की कल्पना जी20 के सदस्य देशों की सांस्कृतिक विरासत को सामने लाने के दृष्टिकोण से की गई है। उन्होंने कहा कि बैंक नोट और सिक्के हमारे वैश्विक इतिहास के पुनर्निर्माण का अमूल्य स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि कोई विदेशी जब कहीं जाता है, तो वह वहां की संस्कृति से सबसे पहले मुद्रा के जरिये ही परिचित होता है।
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