डॉक्टर्स को धरती का भगवान यूं ही नहीं कहा जाता, मरीजों को मौत के मुंह से निकाल कर लाने वाले ये डाक्टर ही तो होते हैं। हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। डॉक्टर्स डे को मनाने का उद्देश्य समाज में डॉक्टरों के अमूल्य योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद देना है। याद रहे जैसे सैनिक जैसे देश की रक्षा के लिए लड़ते हैं वैसे ही डॉक्टर सैनिक बनकर मरीज की बीमारियों से लड़ते हैं और अनगिनत व्यक्तियों की जान बचाते हैं। समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और उनके निस्वार्थ समर्पण को स्वीकार करना और उनके बलिदानों का सम्मान करने के साधन के रूप में इस दिन को मनाना महत्वपूर्ण है।
हमें मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में काम करने में सभी डॉक्टरों के योगदान को याद रखना चाहिए। वे दूसरों को खतरे से बचाने के लिए अपना समय और जीवन बलिदान कर देते हैं। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के महत्व को समझना और इसके बारे में जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है।
डॉ रॉय की याद में मनाया जाता है नेशलन डॉक्टर्स डे
भारत सम्मानित डॉ. बिधान चंद्र रॉय को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल नेशनल डॉक्टर दिवस मनाता है। डॉ रॉय ना केवल फेमस डॉक्टर थे बल्कि एक प्रतिष्ठित राजनीतिज्ञ, एक स्वतंत्रता सेनानी और एजुकेशन के चैंपियन भी थे।
भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का इतिहास
भारत में नेशनल डे की शुरुआत 1 जुलाई 1991 को डॉ. बिधान चंद्र रॉय को श्रद्धांजलि के रूप में की गई थी। 1 जुलाई की तारीख को इसलिए चुना गया क्योंकि संयोग से यह उनकी जन्म और पुण्यतिथि दोनों है।
14 वर्षों तक संभाली थी डॉ रॉय ने बंगाल सीएम की कुर्सी
1 जुलाई, 1882 को जन्में डॉ. बिधान चंद्र रॉय की 1 जुलाई 1962 को मौत हो गई थी। डॉक्टर रॉय एक प्रसिद्ध चिकित्सक, शिक्षक, स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1948 से 1962 तक पूरे 14 वर्षों तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी। उनके उल्लेखनीय उपलब्धियोंं के लिए डॉ. रॉय को 4 फरवरी, 1961 को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, प्रतिष्ठित भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का महत्व
भारत में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस का आयोजन समाज में डॉक्टरों के अमूल्य योगदान को पहचानने और उनको प्रोत्साहित करने के लिए मनाया है। यह न मरीजों के इलाज में डॉक्टरों को सौंपी गई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ावा देने में भी सहायता करता है। COVID-19 महामारी के दौरान डॉक्टरों और नर्सों सहित स्वास्थ्य प्रोफशनल के योगदान के लिए हमें आभारी होना चाहिए, क्योंकि वे वायरस के खिलाफ अपनी निरंतर लड़ाई जारी रखे हुए हैं।
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