नेपाल सीमा से शादी के लिए अगवा की गई एक नाबालिग को बचपन बचाओ आंदोलन व एसएसबी ने अपहर्ताओं के चंगुल से बचा लिया। पिछले एक माह के अंदर दूसरी बार नाबालिग को अपहर्ताओं के चंगुल से बचाया गया है।
उत्तर प्रदेश के उन्नाव से जबरन विवाह के लिए अगवा करके ले जाई जा रही इस नाबालिग को नेपाल सीमा पर बैरगनिया बार्डर पर सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की सीमा चौकी पर मुक्त कराया गया।
बैरगनिया थाना पुलिस को सुपुर्द की गई नाबालिग
नेपाल सीमा पर स्थित एसएसबी-20 बटालियन ने दो आरोपियों को हिरासत में लेकर बैरगनिया थाने को सुपुर्द कर दिया। हिरासत में लिया गया एक आरोपी अगवा की गई लड़की का जीजा निकला।
जांच में पता चला कि नाबालिग के स्वजन ने 19 जून को उन्नाव के मौरावां थाने में उसके अपहरण का मामला दर्ज कराया था। दरअसल, उसकी बड़ी बहन की शादी आरोपी से हुई थी, लेकिन वह उसकी छोटी बहन से विवाह करना चाहता था और इसी इरादे से उसने एक अन्य शख्स के साथ मिलकर उसका अपहरण कर लिया और उसे नेपाल ले जा रहा था।
थानाध्यक्ष रणवीर कुमार झा ने बताया कि यूपी के मौरावां थाने से आई पुलिस के हवाले दोनों आरोपितों के साथ पीड़ित लड़की को भी कर दिया गया। उन्होंने बताया कि एसएसबी 20 बटालियन ने उन्हें चौकी पर रोककर पूछताछ की और शक होने पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) के कार्यकर्ताओं को बुला लिया।
नाबालिग की काउंसलिंग की गई
इस दौरान बीबीए और प्रयास के सदस्य भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने नाबालिग की काउंसलिंग की और उसके स्वजन से फोन पर बातचीत की। इसके बाद दोनों आरोपियों को बैरगनिया पुलिस को सौंप दिया गया।
नाबालिग लड़की ने बताया कि उसका जीजा उसे अपने पैसों और गाड़ी का हवाला देते हुए उससे शादी करने को कहता था। इससे पहले वह उसे जम्मू ले गया था, जहां उसने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। घटना के दिन उसके जीजा ने उसे कपड़े लेने के बहाने बुलाया और कार में बैठा कर अगवा कर लिया।
दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, नाबालिग की बड़ी बहन ने बताया कि आरोपी अपने पैसे की धौंस दिखा कर उसकी छोटी बहन से जबरन विवाह करना चाहता था।
इस मामले में उसने 9 मई को उसके खिलाफ मौरावां थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित संगठन बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) के सहयोग से ऐसे मामले में लगातार कार्रवाई की जाती है।
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