जांजगीर-चांपा ,09 जून । आदिवासी स्व सहायता समूह की महिलाएं डभरा के रेड़ा गौठान में मजबूती के साथ जुड़ी हुए हैं, वह गौठान में वर्मी कम्पोस्ट, मुर्गीपालन, बकरीपालन, सब्जी उत्पादन करते हुए आजीविका अर्जित कर रही है। उन्होंने इन गतिविधियों से आर्थिक लाभ पाकर अपने एवं परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग करते हुए मजबूत बनाया है। समूह के द्वारा 2 लाख 30 हजार 468 रुपए की कमाई की। वे सुराजी गांव योजना से मिले सहयोग के लिए आभार प्रकट करते हुए नहीं थकती हैं।
राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना समूह की महिलाओं के भीतर आत्मबल पैदा कर रही है। जिले की गौठानों में आजीविका गतिविधियों के माध्यम से न केवल वह अपने आपको आगे बढ़ाने का काम कर रही है, बल्कि इससे वे अपने परिवार को भी कुशलता के साथ संभाले हुए हैं। ऐसा ही एक गौठान सक्ती जिले की डभरा जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत आता है, जिसका नाम है रेड़ा। आदिवासी महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष मंगली सिदार, सचिव शीला पटेल बताती हैं, कि गौठान बनने के पहले वह आपसी लेनदेन करते हुए समूह का संचालन कर रही थी, इससे कोई विशेष आमदनी उन्हें नहीं होती थी।
सभी महिलाएं इसी उधेड़बुन में रहती थी कि कोई न कोई ऐसा काम किया जाए जिससे कि अच्छी आमदनी हो सके और परिवार की भी आर्थिक रूप से मदद कर सकें। ऐसे में सुराजी गांव योजना के तहत गांव में गौठान का निर्माण किया गया। गौठान बनने के बाद जब इससे जुड़े तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। मजबूत इरादों के साथ सभी महिलाओं ने एकजुटता दिखाते हुए कार्य शुरू किया। समिति से 99 हजार 989 किलोग्राम गोबर लेकर उससे 26 हजार 650 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया। वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के बाद वर्मी खाद को सेवा सहकारी समिति के माध्यम से विक्रय किया गया। विक्रय करने से उनके समूह को 1 लाख 4 हजार 468 रुपए का लाभांश प्राप्त हुआ।
समूह के द्वारा इसके अलावा काकरेल, सोनाली मुर्गी पालन के कार्य से भी आजीविका शुरू की गई। मुर्गी पालन करते हुए उन्हें विकय करते हुए 65 हजार रुपए की आय प्राप्त की। मुर्गीपालन के साथ ही समूह की महिलाओं ने बकरीपालन क्षेत्र में भी अपने हाथ अजमाए और सफल रहीं। उन्होंने बकरीपालन से 45 हजार रुपए की आमदनी अर्जित की। वहीं चारागाह क्षेत्र में सब्जी उत्पादन करते हुए समूह की महिलाओं ने कार्य किया। आसपास के क्षेत्र में सब्जी बेचकर समूह ने 16 हजार रुपए कमाए। इस तरह समूह ने वर्मी कम्पोस्ट, मुर्गीपालन, बकरीपालन, सब्जी उत्पादन की विभिन्न आजीविका गतिविधियों के संचालन करते हुए 2 लाख 30 हजार 468 रूपए की आमदनी प्राप्त की।
जगदीश ने बढ़ाई गायों की संख्या
रेड़ा गौठान में गोधन न्याय योजना से जुड़ते हुए जगदीश ने 21 हजार 256 किलोग्राम गोबर बेचा और 42 हजार 512 रुपए प्राप्त किया। वह बताते हैं कि इस राशि से उन्होंने एक नई गाय खरीदी और अपनी पत्नी को चांदी की पायल खरीदकर दी। सरकार की यह महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना हम जैसे पशुपालकों के लिए बहुत अच्छी है, इस योजना ने बहुत फायदा पहुंचाया है।
[metaslider id="347522"]