सीएम बघेल की दो टूक, कहा- कैंडिडेट हाईकमान तय करेंगे

बिलासपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव व प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने पदाधिकारियों में उत्साह का संचार करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की दावेदारी करने का हक सभी को है। आप अपनी ताकत लगाएं, जीत के दावों का पुख्ता समीकरण भी बताएं।

कांग्रेस जिसे उम्मीदवार बनाएगी उसके लिए हम सबको ईमानदारी और कर्मठता के साथ काम करना होगा। पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार को विजय बनाकर विधानसभा पहुंचाने हम सबकी जिम्मेदारी होगी। पीसीसी प्रभारी ने पदाधिकारियों और दावेदारों में उत्साह भरा और शपथ भी दिलाई।

बुधवार को सिम्स के आडिटोरियम में बिलासपुर संभाग के साथ ही प्रदेश कांग्रेस की राजनीति सिमटी रही। संभागीय सम्मेलन में संभाग के सभी जिलों से पदाधिकारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। आडिटोरियम पदाधिकारियों से खचाखच भरा हुआ था। पीसीसी प्रभारी सैलजा ने पदाधिकारियों को अपने अंदाज में उत्साह भी बढ़ाया।

पदाधिकारियों को रिचार्ज करने के साथ ही पार्टी अनुशासन की बात भी प्रमुखता के साथ कही। उनका कहना था कि चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं तो दावेदारी करिए। जमकर करिए। जिस सीट से टिकट मांग रहे हैं उसकी पूरी-पूरी जानकारी होनी भी चाहिए।

जातिगत आधार से लेकर सामाजिक परिस्थिति, बीते विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी अगर जीती तो जीत का आधार और अगर पराजित हुई तो कारण को भी स्पष्ट करना होगा। उन्होंने साफ कहा कि विधानसभा सीट के बारे में वृहद जानकारी होना जरूरी है। हवा-हवा और आधारहीन तरीके से टिकट की दावेदारी उचित नहीं है।

पीसीसी प्रभारी ने आडिटोरियम में उपस्थित पदाधिकारियों से संकल्प भी लिया। पदाधिकारियों ने शपथ ली कि टिकट किसी को ही मिलेगा। जिसे टिकट मिलेगा उसके लिए काम करेंगे। उम्मीदवार के विरोध में नहीं जाएंगे। शैलजा के इस प्रस्ताव को पदाधिकारियों ने सहजता के साथ स्वीकारा और शपथ भी ली। शपथ दिलाने के बाद शैलजा ने दावा किया कि वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दमदारी के साथ सत्ता में बनी रहेगी। इस बार 75 प्लस सीट के साथ हम सरकार में काबिज रहेंगे।

जोगी को लेकर मुख्यमंत्री की तल्खी आई सामने
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पूर्व सीएम अजीत जोगी को लेकर तल्खी एक बार फिर सामने आई है। पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए सीएम बघेल ने कहा कि बिलासपुर राजनीति का गढ़ रहा है। अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान हमने इस बात को करीब से देखा है। यहां से जो संदेश प्रसारित होता था छत्तीसगढ़ की राजनीति में प्रभावी बन जाता था। राजनीति के साथ ही साथ ही बिलासपुर कांग्रेस का गढ़ रहा है। राज्य निर्माण के बाद कांग्रेस की सरकार भी बनी।

अफसोस इस बात का कि छत्तीसगढ़ गठन के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में हम सत्ता से बाहर हो गए। यह हार का सिलसिला वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव तक चलते रहा। जब वे अपनी बात रख रहे थे तब इस बात को लेकर नाराजगी और तल्खी दोनों नजर आई।

उन्होंने साफ कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी जब तक कांग्रेस में रहे छत्तीसगढ़ में सरकार से बाहर रहे। जब जोगीजी कांग्रेस से बाहर चले गए हमारी सत्ता में वापसी हो गई। राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा करते हुए कहा कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी कांग्रेस से अलग हो गए और नई पार्टी बना ली।

विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के साथ गठबंधन कर लिया। इसके कारण बिलासपुर संभाग की अधिकांश सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनी। त्रिकोणीय मुकाबले का लाभ राजनीतिक रूप से भाजपा को मिला। सीधी लड़ाई होती तो बिलासपुर संभाग में सीटों का आंकड़ा कुछ अलग ही होता। हमारी सीटें और बढ़ती। यह सब बताने के पीछे मकसद सीधी लड़ाई के लिए इस बार तैयार रहने और जमकर मेहनत करने पदाधिकारियों को इशारा किया।

गुटबाजी से दूर रहने दी हिदायत
पूर्व सीएम जोगी के उदाहरण के जरिए सीएम बघेल ने पार्टी अनुशासन के साथ ही लक्ष्मण रेखा न लांघने की हिदायत भी दी। इशारों ही इशारों में ऐसा करने वालों को खबरदार भी किया। उनकी इस तल्खी और दोटूक बात को लेकर सम्मेलन के बाद दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के बीच चर्चा भी होती रही और मतलब निकालने की कोशिश भी करते रहे।

हारी सीटों पर फोकस करने स्पीकर ने किया इशारा
विधानसभाध्यक्ष डा चरणदास महंत ने माना कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए राजनीतिक गठबंधन का सबसे ज्यादा असर बिलासपुर संभाग की विधानसभा सीटों पर देखने को मिला है। जकांछ और बसपा के बीच हुए समझौते के कारण संभाग की अधिकांश सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ।

त्रिकोणीय मुकाबले में राजनीतिक रूप से फायदे में भाजपा रही। मुकाबला सीधा होता तो संभाग की राजनीति का अंदाज ही कुछ अलग होता। विधानसभाध्यक्ष डा महंत ने सीएम बघेल को बिलासपुर संभाग की विधानसभा सीटों को लेकर विशेष ध्यान देने और कार्ययोजना बनाने की बात भी कही। स्पीकर की इस मशविरे को लेकर अटकलें भी लगाई जाती रही। सीएम बघेल और विधानसभाध्यक्ष डा महंत के बीच बनते राजनीतिक रिश्ते को लेकर भी पदाधिकारियों के बीच देर तक चर्चा होते रही।



लेखा जोखा और सर्वे के बाद तय होगी टिकट-सैलजा
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव व पीसीसी प्रभारी कुमारी सैलजा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर जरूरी मापदंड तय किए जाते हैं। ऐसे ही किसी को टिकट नहीं दे दी जाती। सबका लेखा जोखा देखा जाता है।

दावेदारों का पार्टी संगठन में योगदान, आमजनता के बीच उनकी छवि, स्वीकार्यता और सहभागिता पर खास ध्यान दिया जाता है। इन सबके अलावा सर्वे पर भी नजर रहती है। जीत की दावेदारी और लोकप्रियता का मापदंड भी देखा जाता है। इसके बाद चुनाव समिति में पैनल रखा जाता है। समिति के निर्णय के बाद ही टिकट की घोषणा की जाती है।

एकजुटता की पिलाई घुट्टी
पीसीसी प्रभारी से लेकर सीएम व दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने पदाधिकारियों को आपस में सामंजस्य बनाए रखने और एकजुटता की घुट्टी पिलाई। अपने भाषण के दौरान दिग्गज पदाधिकारी पार्टी अनुशासन की दुहाई देते रहे और मिलजुलकर काम करने की हिदायत भी देते नजर आए। राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने पर जोर दिया। आम लोगों से सीधे संपर्क के साथ ही इंटरनेट मीडिया के जरिए लोगों तक अपनी बात प्रभावी ढंग से पहुंचाने की बात करते रहे।

उपेक्षा को लेकर उठी बात
पार्टी अनुशासन की घुट्टी पीने के दौरान ही सिम्स आडिटोरियम के एक हिस्से में बैठे पदाधिकारियों ने सरकार बनने के बाद उपेक्षा का आरोप भी लगाया। पूछपरख न होने की बात कही और यह कहते हुए उनका दर्द भी छलका।

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