किसानों और ग्रामीणों को अपने खाली पड़े भूमि पर वाणिजियक पौधरोपण कर आय संवृद्धि करने दी गयी समझाईश

कोण्डागांव । वनमण्डल केशकाल में मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजनाष् की कार्यशाला में उपवनमंडलाधिकारियों, परिक्षेत्र अधिकारियों, परिक्षेत्र सहायकों, समस्त परिसर रक्षकों और किसानों तथा ग्रामीणों को मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना के बारे में विस्तृत जानकारी देकर प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस दौरान डीएफओ एन गुरुनाथन ने बताया कि मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजनातर्गंत सिंचित वृक्षारोपण  के अंतर्गत टिश्यू कल्चर सागौन एवं टिश्यू कल्चर बांस के उच्च गुणवत्ता के पौधों का रोपण किया जा सकता है। वहीं असिंचित पौधरोपण के तहत नीलगिरी, मलाबार नीम और अन्य लाभकारी प्रजातियों के पौधे रोपित किये जा सकते हैं। योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु वन अमले को किसानों तथा ग्रामीणों के पास व्यक्तिगत रूप से जाकर उन्हें योजना के विषय पर विस्तृत रूप से समझाईस देते हुए अपने निजि भूमि पर मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजनान्तर्गत पौधरोपण कर भविष्य में लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित किये जाने विस्तारपूर्वक प्रशिक्षण दिया गया।

ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना का उद्देश्य कृषकों तथा ग्रामीणों के निजी भूमि पर वाणिज्यिक रोपण के माध्यम से कृषकों की आय में वृद्धि करने सहित काष्ठ एवं प्लाइवुड इंडस्ट्री को बढ़ावा देकर कच्चे माल की आपूर्ति के साथ राजस्व वृद्धि एवं रोजगार सृजन करना है। वहीं वनों पर निर्भरता कम करने के साथ भूमि उपयोग परिवर्तन को बढ़ावा देना है। उक्त योजनान्तर्गत सभी इच्छुक कृषक या ग्रामीण, शासकीय एवं अर्धशाकीय संस्थायें, अशासकीय संस्थायें,ग्राम पंचायत,निजी संस्थायें या ट्रस्ट अपनी भूमि पर पौधरोपण कर सकते हैं। योजना के अंतर्गत पात्र समस्त कृषकों तथा हितग्राहियों को 5 एकड़ तक क्षेत्र में ब्लॉक रोपण हेतु 100 प्रतिशत वित्तीय अनुदान दिया जाएगा तथा 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र में ब्लॉक रोपण हेतु 50 प्रतिशत वित्तीय अनुदान दिया जायेगा, शेष राशि उनको स्वयं वहन करना होगा। उदाहरणस्वरूप यदि किसी कृषक ने 7 एकड़ में वृक्षों का रोपण किया है, तो 5 एकड़ के लिए 100 प्रतिशत अनुदान मिलेगा तथा 2 एकड़ के लिए 50 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। निजी शिक्षण संस्थाएँ, निजी ट्रस्ट, गैर शासकीय संस्थाएँ, पंचायतें एवं भूमि अनुबंध धारकों को अपने भूमि में ब्लॉक रोपण हेतु वन विभाग की ओर से 50 प्रतिशत अंशदान दिया जाएगा, शेष राशि उनको स्वयं वहन करना होगा। कार्यशाला में आईटीसी के प्रतिनिधि द्वारा नीलगिरी रोपण की विधि एवं सुरक्षा उपाय के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी। वहीं एसडीओ फारेस्ट श्रीमती सुषमा नेताम ने योजना की आवश्यक पात्रता एवं अनुदान संबंधी जानकारी दी।