अनसुनी परंपरा! यहां शादी में नहीं लिए जाते सात फेरें, लड़कियां नहीं होती कभी विधवा, करती है ये परंपरा का पालन….जानिए….

भारतीय समाज अपनी विविधता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. इसी भारतीय समाज में शादी को लेकर अनेकों परंपराएं देखने को मिलती हैं. आज हम आपको एक ऐसी अनसुनी परंपरा से रूबरू कराने वाले हैं जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे.

हिमाचल प्रदेश के सांगला से 28 किमी दूर एक छितकुल नाम का गांव है, जहां पर महिलाओं को इस बात की पूरी आजादी है कि वह 4 शादियां कर सकती हैं. हैरान होने की बात नहीं है क्योंकि यह परंपरा कई सालों पुरानी है और इसी तरह से चली आ रही है.

देश का अंतिम गांव है ये

स्थानीय लोगों की मानें तो छितकुल का खानपान, रहन-सहन, पहनावा और यहां की संस्कृति देश के बाकी हिस्सों से बहुत अलग है. छितकुल तिब्बत और चीन की सीमा के बिल्कुल नजदीक है. इसे देश का आखिरी गांव भी कहा जाता है. यहां पर देश का आखिरी बस स्टैंड, आखिरी पोस्ट ऑफिस और आखिरी स्कूल भी मौजूद है. यहां पर महिलाओं को 4 शादी करने की पूरी छूट दी गई है. अक्सर यहां देखा जाता है कि महिलाएं दो या चार भाइयों से शादी करती हैं. हालांकि, यह जरूरी नहीं है लेकिन शादी होती है तो महिला अपने सभी पतियों के साथ एक ही घर में रहती है. स्थानीय लोग मानते हैं कि महाभारत काल के दौरान

इसी गांव की एक गुफा में कुंती और द्रौपदी ने वास किया था. द्रौपदी और कुंती के साथ गांव के लोगों ने भी समय बिताया जिसके बाद से 4 विवाह वाली परंपरा को उन्होंने भी अपना लिया था तब से यह परंपरा जस की तस चली आ रही है.

नहीं होते सात फेरे

जब कोई एक पति… पत्नी के साथ कमरे में होता है, तब वो अपनी टोपी कमरे के बाहर दरवाजे पर छोड़ देता है. इसका मतलब होता है कि पति-पत्नी एकांत में रहना चाहते हैं. इस वजह से दूसरा पति उनके माहौल में दखल नहीं देता है. सबसे अजीब बात है कि यहां पर शादी में सात फेरे नहीं लिए जाते हैं बल्कि बलि दी जाती है. आपको बता दें कि यहां पर शादी के बाद बेटियों को संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं दिया जाता है.