अब शहरों से ही नहीं रीपा के चलते गांव से भी तैयार हो रहे हैं उद्यमी

सूरजपुर ,30 मई  पहले हम पूरी कुशलता और दक्षता से घर चलाते थे लेकिन अब उद्योग भी चला रहे हैै। यह कहना है आत्मविश्वास से लबरेज सरस्वती स्व सहायता महिला समूह की सदस्य जगेशरी प्रजापती का। वे कहती हैं कि महिलाओं की कुशलता और दक्षता को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समझा है और हमें महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क रीपा के माध्यम से मौका दिया है खुद को साबित करने का। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रीपा योजना शुरू कर हमें आर्थिक गतिविधियों से जुडऩे का अवसर दिया है। 

विकासखंड रामानुजनगर के ग्राम पस्ता की महिलाएं इन दिनों विश्वास से भरी हुई है। वे रोजगार मांगने नहीं जा रही हैं वे लोगों को रोजगार दे रही है। रीपा से उनका सपना सच हुआ है। उन्होंने ऐसे क्षेत्र में अपना काम आरंभ किया है, जहां मांग ज्यादा थी लेकिन आपूर्ति नहीं हो पा रही थी। चौनलिंग फैसिंक व पोल निर्माण के लिए पस्ता की महिलाओं ने उद्यम डाला और आर्डर इतना आ गया कि उनके पास काम ही काम है। ग्रामीणों इलाकों में विकास की बयार बह रही है। महिलाओं और युवाओं के सपने अब हकीकत में तब्दील हो रहे हैं। जगेशरी प्रजापती के साथ-साथ समूह की अन्य 30 महिलाएं इस गतिविधि से जुड़ी हुई है। पस्ता ग्राम में रीपा के तहत चौनलिंक फैसिंग व पोल निर्माण इकाई की स्थापना की गई है।

संचालित इस गतिविधि से ग्रामीणों महिलाओं को रोजगार मिला है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के मार्गदर्शन में समूह की ओर से उच्च गुणवत्ता के चौनलिंग फैसिंक व पोल निर्माण का कार्य प्रारंभ कर क्षेत्र के पंचायतों तथा लोकल बाजार में बिक्री की जा रही है। अब तक इन महिला समूह की ओर से 120 बडल जाली व 700 पोल का निर्माण किया गया है, जिसमें 9 लाख 68 हजार 3 सौ चालीस रुपए की बिक्री कर ली है। वर्तमान में 150 बडल जाली का ऑर्डर भी प्राप्त हुआ है।  रीपा ने ग्रामीण महिलाओं को सीधे तौर पर रोजगार उपलब्ध कराया साथ ही आर्थिक रूप से सशक्त होकर आत्मनिर्भर बनने की राह में अग्रसर किया।