नई दिल्ली,26 मई । सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के एक आवेदन के जवाब में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को एक नोटिस जारी किया है. जिसमें एजेंसी पर राज्य के आबकारी विभाग के 52 अधिकारियों को एक कथित शराब घोटाले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य शीर्ष अधिकारियों को फंसाने वाले बयान देने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया है. कोर्ट ने कहा कि “हम कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं. लेकिन हम ईडी से सभी विवरण उपलब्ध कराने के लिए कह रहे हैं. हम पहले उनकी प्रतिक्रिया पर विचार करेंगे और अगले सप्ताह मामले की सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कथित घोटाले में एजेंसी की जांच में सहयोग करने के बावजूद उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली छत्तीसगढ़ के आबकारी आयुक्त निरंजन दास की याचिका पर ईडी से जवाब भी मांगा. इस मामले के तीन अन्य अभियुक्तों की एक अन्य याचिका पर भी सुनवाई हुई, जो कथित रूप से जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे और फरार हो गए थे. ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता एसवी राजू ने राज्य सरकार के आवेदन का विरोध किया और उस पर अपने अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया. “इस मामले में सुनवाई की आवश्यकता नहीं है.”
एसवी राजू ने कहा कि यह ₹308 करोड़ से अधिक का “बड़ा घोटाला” था. राजू ने कहा, “उन्होंने सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जबकि उन्हें पहले हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए था.” उन्होंने हलफनामे में अपनी दलीलें पेश करने की मांग की. दास और अन्य आरोपियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ दवे ने कहा कि अदालत ने उसी मामले में दायर अन्य आरोपियों की रिट याचिकाओं पर विचार किया और इसी तरह के आदेशों का अनुरोध किया.
मामलों के एक बैच में, अदालत ने 17 मई को ईडी को डर का माहौल नहीं बनाने के लिए कहा था. जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली बेंच ने तब कहा, “अगर कोई घोटाला होता है, तो आप सही लोगों को पकड़ते हैं … ऐसा नहीं है कि हर कोई आरोपी है.” वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, जिन्होंने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया उन्होंने बताया कि 17 मई के मामले में अदालत ने राज्य के पक्षकार आवेदन पर विचार किया क्योंकि ईडी की जांच में अधिकार क्षेत्र का अभाव था. उन्होंने कहा कि ईडी के लिए अपनी जांच आगे बढ़ाने के लिए कोई अंतर्निहित विधेय अपराध नहीं था.
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