कोरबा,19 मई । आज एसईसीएल कुसमुण्डा क्षेत्र द्वारा व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र कुसमुण्डा परियोजना में आज स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान एवं उनके जीवनी पर प्रकाश डालने हेतु विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार संगोष्ठी के इस आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में डी०बी०सिंह महाप्रबंधक (संचालन), एसईसीएल कुसमुण्डा क्षेत्र उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में कुसमुण्डा क्षेत्र के निकटतम ग्राम घना डबरी से पिछले चार वर्ष पूर्व शहीद मूलचन्द कंवर की माताजी श्रीमती मंधनबाई को आमंत्रित किया गया था। इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम मॉ सरस्वती के तैलचित्र पर दीप प्रज्वलित कर एवं पुष्पहार अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। उक्त विषय पर अपना विचार व्यक्त करने हेतु सभी को आजादी दी गई थी जिसमें लगभग 60-70 की संख्या में लोग उपस्थित हुए और अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
प्रमुख वक्ता के रूप में आर०के०सिंह, प्राचार्य केन्द्रीय विद्यालय, कुसमुण्डा, श्रीमती सुधा बी० शेण्डे, वरि० प्रबंधक (कार्मिक) कुसमुण्डा परियोजना, शैलेश राय सी०एम०ओ०ए०आई० एवं अधीक्षण अभियंता (खनन) एन0के0 तिवारी, अधीक्षण अभियंता (वि०/यां०), सुरेश कुमार साहू, वरि० औद्योगिक अभियंता तिलक राज, सहायक प्रबंधक आदि अनेक लोगों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। आर०के० सिंह, प्राचार्य केन्द्रीय विद्यालय कुसमुण्डा के द्वारा कहा गया कि हमें जो आजादी मिली है वह बहुतो के संघर्ष के बाद प्राप्त हुई है जिसमें बहुत चर्चित और बड़े नामों को हम जानते हैं किन्तु ऐसे लाखों लोग हैं जिन्होंने आजादी की इस लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया ऐसे लोगों के नाम कहीं इतिहास में दर्ज नहीं हैं, हमें ऐसे लोगों को भी याद करना चाहिए।
उन्होंने शहीद वीर नारायण सिंह विंझवार जो भारत के रॉबिनहुड के नाम से जाने जाते थे जो छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद थे के जीवनी पर प्रकाश डाला और अपने राज्य के जनता की रक्षा के लिए अंग्रेजों के विरूद्ध की गयी लड़ाई का विस्तृत विवरण दिया जिसे अंततः अंग्रेजों द्वारा रायपुर में तोप से उड़ा दिया गया। उस जगह को आज हम “जय स्तम्भ चौक के नाम से जानते हैं।
श्रीमती सुधा शेण्डे ने अपनी स्वरचित कविता एवं शायराना अंदाज में उन शहीदों का एक लम्बा चौड़ा नाम प्रस्तु किये जो इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं है। उन्होंने वहां के हजारों शहीदों की कुर्बानी से मिली आजादी की कीमत हमें समझना है और उन्हें याद कर सम्मान करना चाहिए और हमें उनके सपनों का भारत बनाना चाहिए। शैलेश राय जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पहले हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था। अंग्रेजों ने हमारे देश की संपदा को लूटकर हमें आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया है, हमें पुनः अपनी स्थिति को बनाना होगा। तिलक राज ने बहुत की कमबद्ध तरीके से ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर ब्रिटिस सरकार की कब्जे तक की जानकारी से सभी को अवगत कराया, कैसे और किस वजह से हम गुलाम हुए उस पर अपना विचार व्यक्त किये।
श्री साहू जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि चन्द्रशेखर आजाद की बचपन की घटनाओं का जिक करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने भारत की आजादी में अपना योगदान दिया और अंग्रेजों के खजाना लूटकर आंदोलन को गति दिया । उनका प्रण था कि मैं जीवन रहते हुए कभी अंग्रेजों द्वारा नहीं पकडाऊगा। उनका पिस्तौल का निशाना अचूक था और मरते दम तक अंग्रेजों के हाथ नहीं आये और शहीद होकर अमर हो गये। एन0के0तिवारी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में क्या बच्चे क्या बूढे सभी ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया लड़के तो लड़के महिलाओं ने भी अपना योगदान, अपनी प्राणों की आहुति देकर इस देश को आजाद कराया है। मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान डी०बी०सिंह महाप्रबंधक (संचालन) ने कहा कि हमारे पुरखे अपनी जान की बाजी लगाकर हमें आजादी दिलाया है इसे हमें संभालकर रखना है और देश को आगे ले जाना है। अंत में आभार प्रदर्शन करते हुए वीरेन्द्र कुमार प्रबंधक (कार्मिक) के द्वारा अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा गया कि हम अपने देश को विकासशील राष्ट्र से विकसित राष्ट्र बनाना है। आगामी 2034 तक भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। सभी को कार्यक्रम की समाप्ति पर आभार व्यक्त किया।
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