बिलासपुर। चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के बार बार निवेदन करने के बाद भी 2016-17 बैच के एमबीबीएस कोर्स के ग्रेजुएट छात्रों की डिग्री को नेशनल मेडिकल कमिशन द्वारा अब तक मान्यता नहीं दी गई है जिससे उनका भविष्य संकट में आ गया है।
गौरतलब है की याचिकाकर्ताओं ने वर्ष 2016 में चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया था, उसके पश्चात सभी वर्षो की परीक्षा में उत्तीर्ण भी हुए, इसी बीच वर्ष 2021 में चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज को छत्तीसगढ सरकार द्वारा अधिकृत कर लिया गया| वर्ष 2022 में छात्रों द्वारा एमबीबीएस का कोर्स व इंटर्नशिप दोनो कंप्लीट करने के पश्चात उन्हे डिग्री व छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल द्वारा रजिस्ट्रेशन सर्टिफकेट भी प्रदान कर दिया गया|
क्योंकि दोनो ही छात्र मेडिकल पीजी का कोर्स भी करना चाहते थे इसलिए नेट पीजी 2023 की परीक्षा में भी शामिल हुए और उत्तीर्ण हुए परंतु चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के वर्ष 2016-17 के बैच को अब तक नेशनल मेडिकल कमिशन के द्वारा मान्यता नहीं प्रदान की गई है इस कारण आगे की ऑल इंडिया पीजी काउंसलिंग में भाग लेने से वंचित रह जाएंगे| पिछले सभी बैच को नेशनल मेडिकल कमिशन द्वारा मान्यता प्रदान कर दी गई थी इसलिए अपने बैच की मान्यता के लिए छात्र जब कॉलेज पहुंचे तो उन्हे ये बताया गया की बार बार निवेदन करने के बाद भी अभी तक वर्ष 2016-17 के बैच को मान्यता नहीं प्रदान की गई है जिसके लिए अनेक बार रिमाइंडर भी भेजा जा चुका है|
जब कोई और हल नहीं निकल पाया तो छात्रों ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी व हर्षमंदर रस्तोगी द्वारा उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की | उच्च न्यायालय की युगलपीठ, चीफ जस्टिस व जस्टिस राकेश मोहन पांडे द्वारा याचिका की सुनवाई करते हुए प्रतिवादी नेशनल मेडिकल कमिशन, सचिव केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, सचिव छत्तीसगढ स्वास्थ्य मंत्रालय, डायरेक्टर छत्तीसगढ़ मेडिकल एजुकेशन, आयुष यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़, चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज व नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से जवाबतलब किया है व कोर्ट की ग्रीष्मकालीन अवकाश के तुरंत पश्चात 14 जून 23 को मामले की सुनवाई के लिय पुनः रखा है।
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