रायपुर ,09 मई । कांग्रेस ने कहा कि ईडी की कार्यवाही पर भाजपा जादा मत उछले विधानसभा चुनावों में मतदान केन्द्रों पर ईडी के अधिकारी वोट दिलाने नहीं आयेंगे। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में राजनैतिक रूप से रसातल में पहुंच चुकी भाजपा सोच रही है कि ईडी की कार्यवाही करवा कर वह कांग्रेस सरकार का मुकाबला कर लेगी तो वह मुगालते में है। ईडी की कार्यवाही करके वह राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रही है लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता भली भांति समझ चुकी है कि ईडी की कार्यवाही भाजपा के राजनैतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। छत्तीसगढ़ में भाजपा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा चलायी जा रही सरकार और उनकी योजनाओं का राजनैतिक रूप से मुकाबला नही कर पा रही है। इसलिये मुख्यमंत्री की छवि खराब करने की और सरकार की छवि खराब करने के लिये भाजपा छत्तीसगढ़ में केन्द्रीय एजेंसियो का दुरूपयोग कर रही है।
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि ईडी की कार्यवाही राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार प्रदेश के किसानों को धान की सबसे ज्यादा कीमत दे रही है जो देश के अन्य राज्यों के किसानों को नहीं मिल रहा है। शासकीय कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम दे रही है। छत्तीसगढ़ नई ऊंचाइयों को छू रहा है और हसदेव अरण्य में आदिवासियों के द्वारा जो कोल खनन का आवंटन का विरोध किया जा रहा है उसके साथ राज्य सरकार खड़ी हुई है और निरंतर केंद्र सरकार से उस आवंटित कोल ब्लाक को रद्द करने की मांग कर रही है। मोदी सरकार अपने कोल खनन मित्र को फायदा पहुंचाने के लिए और पूंजीपति मित्रों को लाभान्वित करने के लिए किसान हितैषी छत्तीसगढ़ हितैषी भूपेश बघेल सरकार के प्रति राजनीतिक दुर्भावना के चलते झूठे एवं मनगढ़ंत प्रकरण बनाकर ईडी की कार्यवाही करवा रही है।
भाजपा की केंद्र सरकार ने देश भर में अपने मुखर विरोधी राज्य सरकारों के खिलाफ ईडी, सीबीआई का दुरुपयोग किया है। विरोधी दलों की सरकारों को प्रताड़ित करने का काम किया है। पं. बंगाल में तृणमूल की ममता बेनर्जी, झारखंड हेमंत सोरेन सरकार, दिल्ली के केजरीवाल के उप मुख्यमंत्री सिसोदिया, पंजाब की पूर्व कांग्रेस की चन्नी सरकार जैसे अनेकों उदाहरण जहां पर भाजपा ने केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से भय और आतंक फैलाने का प्रयास किया है। छत्तीसगढ़ में की गयी ईडी की कार्यवाही भी भाजपा के उन्हीं षड़यंत्रों का हिस्सा है।
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह के शासनकाल के 15 साल में चिटफंड कंपनियों ने सरकार के संरक्षण में जनता को लूटने का बड़ा षड़यंत्र बनाया था। फर्जी चिटफंड कंपनियों के कार्यालयों का उद्घाटन स्वयं रमन सिंह, उनकी पत्नी और सांसद पुत्र ने किया था। रमन मंत्रिमंडल के आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों ने चिटफंड कंपनियों के दफ्तरों का उद्घाटन किया था। सरकारी रोजगार मेले में चिटफंड कंपनियों के स्टॉल लगे थे जिनके माध्यम से एजेंटों की भर्तियां हुई थी। इन चिटफंड कंपनियों ने राज्य की जनता से 6,000 करोड़ से अधिक रू. की उगाही किया था। राज्य की पुलिस चिटफंड कंपनियों के विरूद्ध जांच कर रही कुछ कंपनियों की संपत्तियां कुर्क कर लोगों के पैसे भी वापस करवाया जा रहा। यदि 6,000 करोड़ रू. का अवैध लेनदेन हजारों लोगों के साथ हुआ है तो इस मामले की ईडी से जांच क्यों नहीं हो रही है? केंद्र सरकार नान और चिटफंड घोटाला की जांच ईडी से करवाने का साहस क्यों नहीं दिखा रही? क्यों इस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का नाम है इसलिये भाजपा नान और चिटफंड घोटाले की जांच में घबरा रही है। जब काल्पनिक और कूटरचित मुद्दों के आधार पर ईडी कार्यवाही कर सकती है तब ठोस साक्ष्यों के आधार पर ईडी की जांच क्यों रोका जा रहा है?
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