0.नागरिकों ने बोरे बासी खाकर प्रदेश की समृद्ध संस्कृति और श्रमिकों के प्रति जताया सम्मान
0.जनप्रतिनिधि, कलेक्टर-एसपी सहित नन्हे-मुन्हे बच्चों ने भी बड़े चाव से खाया बोरे बासी
गरियाबंद 01 मई 2023 । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील पर विश्व श्रमिक दिवस को बोरे बासी त्यौहार के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर जिले के जनप्रतिनिधिगण, अधिकारी-कर्मचारियों, नागरिकों सहित नन्हें-मुन्ने बच्चों ने भी आम चटनी, प्याज, मिर्ची, बिजौरी, लाल भाजी, चेच भाजी, भिंडी की सब्जी आदि के साथ बड़े चाव से बोरे बासी खाया। जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने पारम्परिक आहार बोरे बासी खाकर श्रमिकों के प्रति सम्मान जताया। बोरे बासी त्यौहार के अवसर पर कलेक्टर प्रभात मलिक ने जिला प्रशासन के अधिकारी- कर्मचारियों के साथ कांसे की बटकी में बोरे बासी खाकर श्रम और श्रमिकों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की।
पुलिस अधीक्षक अमित कांबले ने भी बोरे बासी खाकर छत्तीसगढ़ की प्रचीन संस्कृति को बढ़ावा देने में अपना योगदान दिया। बोरे बासी त्यौहार के अवसर पर जिला पंचायत सीईओ श्रीमती रीता यादव, एडीएम अविनाश भोई, संयुक्त कलेक्टर नवीन भगत, डिप्टी कलेक्टर अनुपम आशीष टोप्पो, एसडीएम गरियाबंद भूपेंद्र साहू, देवभोग एसडीएम सुश्री अर्पिता पाठक सहित अन्य अधिकारियों ने भी बड़े चाव से बोरे बासी का स्वाद लिया। छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा देने और पारम्परिक आहार का स्वाद लेने के लिए छोटे बच्चे भी पीछे नहीं रहे। 4 वर्षीय बालक आरव और 9 वर्षीय बालिका आरोही ने आम की चटनी और प्याज के साथ बोरे बासी का आनंद लिया।
उल्लखेनीय है की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की पारम्परिक आहार बोरे बासी खाकर श्रमिको के प्रति सम्मान प्रकट करने की अपील की थी। इसी तारतम्य में मेहनतकश मजदूरों के सम्मान और छत्तीसगढ़ की पुरानी संस्कृति को बढ़ावा देने 01 मई को बोरे बासी उत्सव के रूप में मनाया गया। छत्तीसगढ़ की प्राचीन संस्कृति में बोरे बासी का बड़ा महत्व है। किसानों और श्रमिकों के साथ आमजनों का भी यह प्रिय आहार है। बोरे बासी पौष्टक गुणों और स्वाद के कारण छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति में बसा हुआ है। गर्मी के दिनों में बोरे बासी का विशेष महत्व रहता है। यह गर्मी में शरीर को ठंडा प्रदान करता है। साथ ही पाचन शक्ति को बढ़ाने के साथ वजन संतुलित करने में भी सहायक होता है।
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