Senior citizens will not get discount on train fare: वरिष्ठ नागरिकों को रेलवे ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट से भी निराशा ही हाथ लगी है. जी हां आपको बता दें कि कोरोना काल से ही वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराये में मिलने वाली छूट बंद कर दी गई थी. तभी से देश के वरिष्ठ नागरिकों का प्रतिनिधिमंडल छूट को बाहल करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा था.
शीतकालीन सत्र के दौरान संसद की समिति ने भी सीनियर सिटिजन की छूट बाहल करने की सिफारिस की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगाई गई थी. लेकिन शुक्रवार की शाम सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए फैसला सरकार के हाथ में डाल दिया है. हालांकि स्टूडेंट्स व दिव्यांगों के लिए जो छूट मिलती है. वह यथावत रहेगी.
रेल मंत्री कर चुके हैं इनकार
शीतकालीन सत्र के दौरान रेल मंत्री भी वरिष्ठ नागरिकों की छूट को लेकर इनकार कर चुके हैं. उनका कहना था कि छूट के चलते रेलवे का काफी नुकसान होता है. फिलहाल रेलवे इस स्थिति में नहीं है कि छूट को फिर से शुरु कर सके. इसके बाद वरिष्ठ नागरिकों का प्रतिनिधिमंडल मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट चला गया था.
विगत दिवस सुप्रीम कोर्ट ने भी सीनियर सिटिजन की याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कहा है कि किराए में छूट पर फैसला लेने का अधिकार सरकार का है. क्योंकि सरकार ही रेलवे को संचालित करती है. आपको बता दें कि पहले से रेलवे स्टूडेंट्स और दिव्यांगों को किराए में छुट देता है. जिसे अभी भी बरकार रखा गया है.
सरकार के हाथों में गेंद
पूरे मामले पर जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एहसानउद्दीन अमानउल्लाह की बेंच शुक्रवार को सुनवाई की. साथ ही शाम को कहा कि “कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक याचिका में परमादेश रिट जारी करना इस अदालत के लिए उचित नहीं होगा. सरकार ही वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों और राजकोषीय नतीजों को ध्यान में रखते हुए मामले कोई निर्णय लेगी. याचिका कर्ता बालाकृष्णन के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि बुजुर्गों को रियायतें देना राज्य का दायित्व है,,
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