गरियाबंद। जिला शिक्षा अधिकारी, गरियाबंद ने पहले तो नियम के खिलाफ जाकर 9 साल से अनुपस्थित एक शिक्षक को बहाल कर दिया, मगर जब मुख्यालय ने इस कदम को गलत ठहराया तब DEO ने शिक्षक को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया।
DEO के बाबू पर गिर चुकी है गाज
दो दिन पहले ही TRP न्यूज़ ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। दरअसल गरियाबंद के DEO डीएस चौहान ने बिना सूचना के 9 सालों से गैरहाजिर गरियाबंद ब्लॉक के नवागढ़ प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षाकर्मी गैंद लाल ध्रुव को शासन के नियमों का हवाला देते हुए बहाल कर दिया था। जब यह मामला प्रकाश में आया तब शिक्षा संभाग, रायपुर के JD के. कुमार ने DEO से कारण बताओ नोटिस का जवाब लिया और उनके अधीनस्थ बाबू केसी साहू को फाइलों में गड़बड़ी करने के आरोप में निलंबित कर दिया।
कार्यप्रणाली पर उठे सवाल तो शिक्षक को किया SUSPEND
इस मामले में JD द्वारा DEO की कार्रवाई को नियम विरुद्ध बताये जाने के बावजूद DEO अब भी खुद को पाक साफ बताते हुए शिक्षक की बहाली को सही कह रहे हैं, जबकि नियम तो यह है कि कोई भी शासकीय कर्मी अगर बिना बताये 3 साल से अनुपस्थित रहता है तो उसे बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। इस तरह अपनी कार्यप्रणाली पर संदेह उठता देख अब DEO डीएस चौहान ने शिक्षक गैंद लाल ध्रुव को निलंबित कर दिया है।
DEO ने निलंबन आदेश में उल्लेख किया है कि शिक्षक ध्रुव सन 2014 से बिना किसी पूर्व सूचना के अनुपस्थित थे। सवाल यह उठता है कि आखिर उन्होंने किस आधार पर इस शिक्षक को बहाल किया था।
गलत हुआ है तो कार्यवाही होगी : वर्मा
TRP न्यूज़ ने इस प्रकरण के संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के अपर सचिव RP वर्मा से जानकारी चाही तब उन्होंने बताया कि यह प्रकरण फ़िलहाल उनके पास नहीं आया है। उन्होंने बताया कि अगर अधिकारी ने गलत तरीके से शिक्षक को बहाल किया है और JD के यहां से प्रस्ताव आता है तो अवश्य कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि बिना सूचना के कर्मचारी लम्बे समय तक गैरहाजिर रहता है तो उसे इस तरह बहाल नहीं किया जा सकता। संबंधित मामले में किस आधार पर बहाली की गई है उसे देखने के बाद ही वे कुछ कह सकेंगे।
गौरतलब है कि डीईओ चौहान द्वारा जारी आदेश की प्रति में शिक्षक ध्रुव की 9 साल से अनुपस्थिति का कारण मानसिक रोग बताया गया है। ज्वाइनिंग के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने का जिक्र तो है, पर अनाधिकृत अनुपस्थिति के लिए मेडिकल लीव या कोई वैधानिक दस्तावेज का जिक्र नहीं है। नियम और निर्देश की मानें तो इन परिस्थिति में शिक्षक को कार्यभार दिलाने की बजाए कार्रवाई किया जाना था। बहरहाल DEO ने अब जाकर शिक्षक को निलंबित करने की कार्रवाई की है। देखना है कि इस मामले में मुख्यालय क्या कार्यवाही करता है।
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