पाकिस्तान-चीन के विरोध और आपत्तियों को सिरे से दरकिनार कर मोदी सरकार (Modi Government) ने श्रीनगर में जी20 (G20) बैठक की तारीखों की घोषणा कर दी है. पाकिस्तान (Pakistan) तो शुरू से ही और फिर उसकी गुहार पर बीते महीने चीन (China) ने भी श्रीनगर में जी20 बैठक रखे जाने पर आपत्ति जताई थी.
पाकिस्तान ने तो श्रीनगर (Srinagar) में जी20 बैठक को रोकने के लिए चीन के अलावा सऊदी अरब और तुर्किए जैसे अपने सहयोगियों के साथ दबाव बनाने के लिए लॉबिंग भी की थी. फिर भी मोदी सरकार ने श्रीनगर में जी20 बैठक होने की औपचारिक घोषणा कर इन देशों को आईना दिखा दिया है. गौरतलब है कि बीजिंग ने पिछले महीने अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में समूह 20 की बैठक होने के बाद विरोधस्वरूप अरुणाचल के 11 इलाकों के बदले नामों की एक सूची जारी की थी. चीन लंबे समय से अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोंकता आया है, जिसे भारत उतने ही पुरजोर तरीके से खारिज करता आ रहा है.
22 से 24 मई तक श्रीनगर में होगी जी20 की बैठक
भारत ने अपने जी20 कैलेंडर को अपडेट करते हुए कहा कि पर्यटन पर समूह 20 कार्य समूह की बैठक 22 मई से 24 मई तक श्रीनगर में होगी. माना जा रहा है कि चीन अरुणाचल प्रदेश की तरह श्रीनगर बैठक की भी अनदेखी करेगा. इसके बावजूद भारत के आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि श्रीनगर में जी20 की बैठक के बारे में पहले भी कभी कोई संदेह नहीं रहा. पिछले साल ही जी20 बैठक के लिए श्रीनगर में तैयारियां शुरू कर दी गई थीं. गौरतलब है कि भारत की अध्यक्षता में जी20 की बैठकें सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में हो रही हैं. अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में समूह20 की बैठक रख भारत सख्त संदेश देना चाहता है कि दोनों ही उसके अविभाज्य अंग हैं.
चीन पहले भी जता चुका है श्रीनगर बैठक पर आपत्ति
गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश में जी20 की बैठक में लगभग 50 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. अब मोदी सरकार को श्रीनगर में होने वाली इस बैठक में भी ऐसी ही बड़ी संख्या में भागीदारी की उम्मीद है. श्रीनगर में जी20 की बैठक वास्तव में मोदी सरकार के लिए एक ऐसा अवसर होगा, जब वह कश्मीर घाटी में मानवाधिकारों के उल्लंघन के पाकिस्तान के दावों का खंडन कर वैश्विक प्रतिनिधियों के सामने उसकी हवा निकालेगा. मोदी सरकार इस हाई-प्रोफाइल इवेंट के जरिए दुनिया को यह बताएगी कि इस केंद्र शासित प्रदेश में सामान्य स्थिति लौट आई है. गौरतलब है कि चीन ने पिछले साल प्रस्तावित बैठक पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त की थी. उसका कहना था कि प्रासंगिक पक्षों को कोई भी एकतरफा कदम उठाकर स्थिति को जटिल नहीं बनाना चाहिए.
बीजिंग संग कई उच्च स्तरीय वार्ता भी होनी हैं
यहां यह भी एक रोचक संयोग है कि अगले कुछ महीनों में बीजिंग के साथ कई प्रस्तावित उच्च स्तरीय वार्ताओं के बीच श्रीनगर में जी20 बैठक भी होगी. चीनी रक्षा और विदेश मंत्रियों के शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के सिलसिले में जल्द ही भारत आने की उम्मीद है. जुलाई में एससीओ शिखर सम्मेलन की तारीखों को अंतिम रूप देने के लिए भारत वर्तमान में चीन, रूस और अन्य सदस्य देशों के संपर्क में है. यदि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बैठक में शामिल होने के लिए आते हैं, तो अप्रैल 2020 में पूर्वी लद्दाख में हिंसक संघर्ष के बाद चल रहे सैन्य गतिरोध के बाद से पीएम नरेंद्र मोदी के साथ उनकी पहली द्विपक्षीय बैठक हो सकती है.
[metaslider id="347522"]