सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को सरकार ने बड़ी राहत दी है। अब MSME क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत अधिकतम दो करोड़ की जगह पांच करोड़ तक का लोन ले सकेंगे। इस लोन के बदले लगने वाली फीस में भी एमएसएमई को राहत दी गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि क्रेडिट गारंटी योजना में सुधार एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत करने के सरकार के प्रयासों का एक हिस्सा है।
मंगलवार को एमएसएमई मंत्री नारायण राणे ने ट्वीट कर बताया कि एमएसई क्षेत्र को मजबूत करने के निरंतर प्रयासों के अंतर्गत, एमएसई में ऋण के प्रवाह को बढ़ाने के लिए क्रेडिट गारंटी योजना को और बेहतर नवीन रूप दिया गया है। गारंटी की सीमा को दो करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ कर दिया गया है। राणे के ट्वीट का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ”यह एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत करने के लिए हमारी सरकार के प्रयासों का एक हिस्सा है।”
बैंक परियोजना के अनुसार
क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत लोन लेने के लिए एमएसएमई को अपनी पूरी परियोजना के साथ बैंक से संपर्क करना होता है। फिर बैंक परियोजना के मुताबिक लोन की मंजूरी देता है। लोन की ब्याज दर बैंकों पर निर्भर करती है। इस लोन के बदले उद्यमी को सालाना लोन की फीस देनी पड़ती है जो लोन की रकम का 0.37 फीसद से लेकर 1.35 फीसद तक है।
उद्यमियों ने बताया
लोन लेने के बदले उद्यमी को कोई गारंटी नहीं देनी होती है या कुछ भी गिरवी नहीं रखना होता है। लोन की गारंटी सरकार लेती है। क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत नए उद्यमी भी लोन ले सकते हैं। क्रेडिट गारंटी स्कीम कोरोना काल में आरंभ की गई इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम से भिन्न है जो पिछले कई सालों से चल रही है।
उद्यमियों ने बताया कि पिछले दो-तीन सालों में औद्योगिक कच्चे माल की कीमतों में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई। ऐसे में उनकी उत्पादन लागत बढ़ गई है। सरकार के इस फैसले से उन्हें काफी राहत मिलेगी।
नई व्यापार नीति से भी एमएसएमई को होगा फायदा
छोटे उद्यमियों ने बताया कि गत 31 मार्च को घोषित होने वाले नई व्यापार नीति की मदद से उन्हें निर्यात करने में आसानी होगी और पहले की तुलना में ई-कॉमर्स निर्यात उनके लिए फायदेमंद सौदा होगा। फेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज (फिस्मे) के महासचिव अनिल भारद्वाज ने बताया कि अभी कुरियर के माध्यम से निर्यात करने पर उद्यमियों को 18 फीसद का टैक्स लग जाता है जो नई नीति की घोषणा के बाद नहीं लगेगा।
उन्होंने बताया कि ई-कॉमर्स निर्यात को मुख्य निर्यात की श्रेणी में लाने से छोटे उद्यमियों के कारोबार में काफी बढ़ोतरी होगी। जेम्स व ज्वैलरी से लेकर शादी-ब्याह में पहने जाने वाली पोशाक तक का वे निर्यात कर सकेंगे।
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