लक्जरी सामान फाइनेंस कराकर बिना किश्त पटाए बेचा, तीन गिरफ्तार

भिलाई । वाहन, मोबाइल और घरेलू सामान को फाइनेंस करवाकर उसकी किस्तें भरे बिना ही किसी और बेचने वाले एक गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। इस गिरोह में तीन सदस्य शामिल थे। जिन्होंने एक बीएसपी कर्मी के नाम पर 10 कार, एक बुलेट बाइक, एक वाशिंग मशीन और दो मोबाइल फाइनेंस करवाया था। बीएसपी कर्मी को रुपयों की जरूरत थी। इसलिए आरोपितों ने उसे कुछ रुपये दिए और सामान को बेचने का अधिकार पत्र बनवा लिया।

इसके बाद आरोपितों ने सभी सामान को केरल, कर्नाटक, गोवा, अरुणाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, ओडिशा और मध्यप्रदेश में बेचकर फाइनेंस कंपनी को चूना लगाया। इस मामले में बीएसपी कर्मी की भी संलिप्तता है। पुलिस ने अभी तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। बीएसपी कर्मी की भूमिका की जांच की जा रही है। पुलिस ने आरोपितों द्वारा बेचे गए वाहन, मोबाइल और वाशिंग मशीन को जब्त किया है। जिनकी कीमत करीब तीन करोड़ रुपये आकी है।

केएलसी जोन-2 खुर्सीपार निवासी बीएसपी कर्मी हेमंत कुमार ने इस मामले की शिकायत की थी। उसने पुलिस को बताया था कि एवेन्यु डी जोन-2 खुर्सीपार निवासी आरोपित शिवा उर्फ शिव कुमार (42), विश्वबैंक कालोनी भिलाई-3 निवासी पी श्रीनिवास (44) और ग्राम उल्बा अभनपुर जिला रायपुर निवासी योगेश सोनवानी (42) ने उसके आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता के स्टेटमेंट और सैलरी स्लिप का दुरुपयोग कर 10 वाहन, दो मोबाइल और वाशिंग मशीन फाइनेंस करवाकर किसी और से बेच दिया है।

सामानों की किस्त जमा न होने पर फाइनेंस कंपनी वाले उसे परेशान कर रहे हैं। इस आधार पर पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार किया। आरोपितों की निशानदेही पर केरल, कर्नाटक, गोवा, अरुणाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, ओडिशा और मध्यप्रदेश से 10 कार, एक बुलेट बाइक, दो मोबाइल और एक वाशिंग मशीन जब्त किया है। जिनकी कीमत करीब तीन करोड़ रुपये आकी गई है।

जांच में पता चला कि आरोपित योगेश सोनवानी इस गिरोह का मास्टर माइंड है। वो ही बीएसपी कर्मी के दस्तावेजों का इस्तेमाल कर वाहन, मोबाइल व अन्य सामान फाइनेंस करवाता था और बेचने का अधिकार पत्र बनवाकर उन्हें बेेच देता था। वहीं जब भी बीएसपी कर्मी को रुपयों की जरूरत पड़ती थी को वो शिवा उर्फ शिव कुमार से संपर्क करता था। इसके बाद शिवा उर्फ शिव कुमार और पी श्रीनिवास राव उसे योगेश सोनवानी से मिलवाते थे। फिर तीनों आरोपित, बीएसपी कर्मी हेमंत कुमार को लेकर शो रूम जाते थे।

वहां पर डाउन पेमेंट देकर वाहन व अन्य सामान फाइनेंस करवाते थे और सौदे में तय रकम को बीएसपी कर्मी हेमंत कुमार व बाकि के दोनों आरोपितों को दे देता था। इसके बाद उस सामान को ले जाकर दूसरों से बेच देता था। पुलिस का कहना है कि इस मामले में बीएसपी कर्मी हेमंत कुमार ने पुलिस को गलत जानकारी दी कि उसे अपनी बेटी की शादी के लिए रुपयों की जरूरत थी। इसलिए उसने आरोपितों से मदद मांगी थी। जबकि वो खुद इस कांड में शामिल था। पुलिस, फाइनेंस कंपनी से संपर्क कर रही है और हेमंत कुमार के खिलाफ भी कार्रवाई करने वाली है।

आरोपियों ने बीएसपी कर्मी के दस्तावेज का इस्तेमाल कर एक हुंडई क्रेटा, एक लाल रंग की हुंडई आई-20, एक सफेद रंग का स्कोडा कार, एक बीएमडब्ल्यू कार, एक स्कोडा कंपनी का सिल्वर रंग की कार, एक सफेद रंग का हुंडई क्रेटा, एक काले रंग का हुंडई क्रेटा, एक महरून रंग का हुंडई क्रेटा, एक होंडा सिटी कार, एक बुलेट बाइक, दो मोबाइल और एक वाशिंग मशीन खरीदा था। आरोपितों से पूछताछ की जा रही है। इस गिरोह में कुछ और भी लोगों के शामिल होने की आशंका है। पूछताछ में उनके नाम सामने आने की उम्मीद है।

अब तक की जांच में पता चला है कि ये गिरोह कम कीमत पर नया सामान बेचने की आड़ में ये कांड करता है। वाहन या कोई अन्य सामान को फाइनेंस करवाकर उसे कुल कीमत का 70 प्रतिशत दाम लेकर बेच दिया जाता है। मान लिया जाए किसी गाड़ी की कीमत 10 लाख रुपये है तो ये गिरोह उसे एक लाख रुपये डाउन पेमेंट देकर फाइनेंस करवा लेता है। जिसके दस्तावेज पर फाइनेंस कराया जाता है, उसे दो से तीन लाख रुपये दे दिए जाते हैं और उस वाहन को एग्रीमेंट के तहत सात लाख रुपये में बेच दिया जाता है।