Bheed Powerful Dialogues: ‘यहां कुंडली नहीं कानून चलता है’, फिल्म ‘भीड़’ के 5 दमदार डायलॉग

Rajkumar Rao Movie Bheed: राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर की फिल्म ‘भीड़’ काफी विवादों के बाद सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. फिल्म में कोरोना त्रासदी के दौरान पैदा हालातों को दिखाया गया है. फिल्म की कहानी 24 मार्च 2020 की याद दिलाती है जब पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति पैदा हो गई थी. लोग सबकुछ छोड़कर अपने घरों की ओर लौटना चाहते हैं, लेकिन उन्हें उनके ही घरों से बाहर रखा जाता है. फिल्म में कई दमदार डायलॉग हैं जो आपको उस कोरोना महामारी के दर्द की याद दिलाएंगे.

‘एक दिन अचानक इन लोगों को पता चला कि उनका घर वहाँ है ही नहीं जहां वो रहते थे’

‘जो अपने गांव जाने निकले हैं. काम जाने की वजह से न वो शहर में रह सकते हैं, न ही जहां उनका जन्म हुआ उस घर जा सकते हैं.’ प्रवासी मजदूरों की मज़बूरी देख ये घटना कवर करने वाली पत्रकार ये कहती हुई नजर आती है.

‘बॉर्डर बन गया है अपने ही देश के अंदर’

फिल्म में दिखाई देता है कि हर गांव और राज्य पर पुलिस ने सीमाबंदी की थी. गांव की सीमा पर हजारों लोग अपने ही घर जाने के इंतजार में थे. इस दौरान जब बॉर्डर खोलने की खबर आती है, तब निराश हुए त्रिवेदी बाबू (पंकज कपूर) के मुंह से ये डायलॉग सुनने मिलता है.

‘ये खेत देखें हैं हिंदू दफन है वहां, उन्हें अपने खेत में ही रहना था, अब देखो अपने ही खेत से बाहर जाना पड़ रहा है’

कोरोना काल में लोगों की स्थिति अपने कैमरा में कैप्चर करने वाले फोटोग्राफर ने कही हुई ये बात है. एक तरफ अपने घर में जाने की अनुमति न मिलने की वजह से गांव की बॉर्डर के पास लगे खेतों में बैठे हुए लोगों को देख फोटोग्राफर अपनी रिपोर्टर से कहत है कि मैं तुम्हें एक कमाल की फोटो देता हूं. वो देखो हिंदू दफन है वहां, अपने खेतों में रहना था उन्हें मरने के बाद भी, इसलिए वहां ही रखा और ये लोग जो वहां मौजूद है, उन्हें अपने खेतों से जान बचाने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है.

‘यहां कुंडली नहीं चलती कानून चलता है’

त्रिवेदी बाबू (पंकज कपूर) जब उन्हें बस से नीचे उतारने वाले पुलिस अफसर को गुस्से से कहते हैं कि तुमने मुझे हाथ लगाने की हिम्मत कैसे की ? हम त्रिवेदी है, कुंडली बिगाड़कर रख देंगे तुम्हारी. उन्हें जवाब देते हुए सूर्य कुमार टिकस कहते हैं कि यहां कुंडली नहीं चलती कानून चलता है.

‘पूरी को मारो गोली फल भी नहीं मिल रहे हैं’

घर और होटल बंद होने के चलते खाना मिलना भी मुश्किल हो जाता है. तब एक बुजुर्ग आदमी कहता है कि बच्चों के लिए कुछ पूरियां तो मिल जाती, तो उन्हें ये जवाब मिलता है कि पूरी को गोली मारो यहां फल भी नहीं मिल रहे हैं.