SECL की गेवरा माईन 50 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने वाली बनी देश की पहली माईन कोयला मंत्री ने ट्वीट कर दी बधाई


कोरबा,20 मार्च। एसईसीएल (South Eastern Coalfields Limited) कोरबा जिले में अवस्थित एसईसीएल (South Eastern Coalfields Limited) की गेवरा परियोजना में 50 मिलियन टन कोयला उत्पादित कर इतिहास रच दिया है। यह 50 मिलियन टन क्लब में पहुँचने वाली देश की पहली कोयला खदान है। इस वर्ष गेवरा खदान ने लक्ष्य 52 मिलियन टन है जिसे एरिया द्वारा 31 मार्च से पूर्व ही पूरा कर लिए जाने की आशा है। उत्पादन के साथ-साथ गेवरा एरिया 50 मिलियन टन के कोल डिस्पैच के लक्ष्य के भी बेहद करीब (49.08) मिलियन टन पहुँच चुका है।

गेवरा खदान आधुनिक व इको-फ्रेन्डली तकनीक के समावेश के जरिए कोल इण्डिया के परियोजनाओं में विशेष स्थान रखता है। यहाँ ब्लास्टिंग फ्री सरफेस माईनिंग तकनीक का व्यवहार किया जाता है, वहीं मैकेनाइज्ड कन्वेयर बेल्ट सुविधायुक्त साईलो के जरिए रैपिड लोडिंग सिस्टम कोयले के ढुलाई में प्रयुक्त होता है। खदान में ओव्हर बर्डन रिमूवल (ओबीआर) के लिए 42 क्यूबिक मीटर शावेल-240 टन डम्फर जैसे आधुनिक एचईएमएम का इस्तेमाल होता है, वहीं पर्यावरण संवर्धन के उद्धेश्य से लांग डिस्टेंस फाग कैनन मशीन जैसे उपकरण नियोजित किए गए हैं।


गेवरा परियोजना के 50 मिलियन क्लब में शामिल होने पर माननीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी जी ने ट्वीट कर बधाई दी है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर एसईसीएल के सीएमडी डा. प्रेम सागर मिश्रा व निदेशक मण्डल स्वयं गेवरा परियोजना पहुँचे तथा गेवरा एरिया की टीम को बधाई देते हुए उत्कृष्ठ कर्मियों को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर मीडिया से संवाद करते हुए सीएमडी एसईसीएल (South Eastern Coalfields Limited) डा. प्रेम सागर मिश्रा ने कहा कि गेवरा में विकास और विस्तार की अपार संभावनाएँ हैं। वर्तमान में इसे 70 मिलियन टन विकसित किया जा रहा है, पर भविष्य में इसे और भी अधिक विस्तारित किया जा सकता है। विदित हो कि सोमवार एसईसीएल ने 157.43 मिलियन टन कोयला उत्पादित कर अब तक का सर्वाधिक वार्षिक उत्पादन को पिछे छोड़ दिया है, इससे पूर्व वर्ष 2018-19 में एसईसीएल ने 157.35 मिलियन टन कोयला उत्पादित किया था।


गेवरा क्षेत्र का विकास एसईसीएल (South Eastern Coalfields Limited) के प्रगति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है यहाँ कोयले का इतना रिजर्व पड़ा है जिससे 10 साल तक पूरे देश की बिजली बनायी जा सकती है।

 गेवरा माईन ने 50 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया तथा यह किसी भी एक वर्ष में 50 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने वाली देश की एकमात्र खदान है।
 इस खदान में कोयला उत्पादन करने के लिए आधुनिक व इको-फ्रेन्डली तकनीक सरफेस माईनर का व्यवहार किया जाता है, यह ब्लास्टिंग फ्री टेक्नालाजी है तथ इससे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव नहीं आता।


 यहाँ ओबीआर के लिए उच्च क्षमता के 42 क्यूबिक मीटर शावेल तथा 240 टन डम्फर का इस्तेमाल किया जाता है जो कि दुनिया भर में इस कार्य में प्रयुक्त होने वाली बेहद उच्च क्षमता की एचईएमएम मशीन है।
 पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से वाटर स्प्रींकलर के साथ-साथ लांग रेंज मिस्ड फागिंग मशीन लगाया गया है जो हवा में बिखरे धूल कणों के प्रभाव को शमित कर देते हैं।


 कोयला परिवहन के लिए गेवरा में कन्वेयर बेल्ट की मैकेनाईज्ड सुविधा बनायी गयी है तथा भारी क्षमता के साईलों के जरिए रेलवे बैगनों में आटोमेटिक तरीके से कोयले की लोडिंग की जाती है।


 गेवरा खदान में प्रति पाली में लगभग 700 कर्मी कार्य करते हैं।
 गेवरा में अभी भी 1000 मिलियन टन कोयला का रिजर्व उपलब्ध है जो कि पूरे देश के वर्तमान कोयला उत्पादन के हिसाब से लगभग 10 साल तक अकेले देश को ऊर्जा आपूर्ति हेतु कोयला उपलब्ध करने में सक्षम है।


 52 मिलियन टन कोयले में से एनटीपीसी को डेलिगेटेड माईन के जरिए लगभग 14 मिलियन टन, रेलवे वैगन के जरिए लगभग 22 मिलियन टन वहीं रोड व बाशरी मोड के जरिए 15 मिलियन टन प्रेषित किए जाने की योजना प्रस्तावित है।
 गेवरा खदान पिछले लगभग 40 वर्षों से देश की ऊर्जा आपूर्ति के लिए निरंतर प्रयासरत है। तकनीकी रूप से 1:075 के औसत स्ट्रीपिंग रेशियो के साथ यहाँ औसत रूप से जी-11 ग्रेड का कोयला पाया जाता है। खदान में स्ट्राइकलैंथ लगभग 10 किलोमीटर की है, वहीं उसकी चैड़ाई 4 किलोमीटर है तथा इस प्रकार लगभग 40 स्क्वैयर किलोमीटर में सघन माईनिंग की जाती है।