मंदिरों में आधी रात होलिका दहन, 7 से मचेगा होली का धमाल

रायपुर ,07 मार्च । फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि शाम 4 बजे के पश्चात प्रारंभ हुई, चूंकि पूर्णिमा तिथि पर भद्रा काल को त्यागकर होलिका दहन की मान्यता है इसलिए मंदिरों में आधी रात को भद्रा पूंछ में होलिका दहन किया गया। विधिवत भगवान विष्णु, होलिका और प्रहलाद की पूजा करके दहन करने की परंपरा निभाई। होलिका स्थल के चारों ओर कच्चा सूत बांधकर परिक्रमा की। गोबर के कंडों की माला, गुड़, बताशा, नारियल, गेहूं की बालियां और शक्कर की माला अर्पित की। परिवार, राज्य और देश में सुख-समृद्धि की कामना की। पुरानी बस्ती के महामाया मंदिर और बोरियाकलां के शंकराचार्य आश्रम में होलिका दहन की परंपरा निभाई गई। मंगलवार को भी पूर्णिमा तिथि होने से सूर्यास्त के बाद दहन किया जाएगा।

महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला के अनुसार ग्रामीण इलाकों में होलिका दहन के पश्चात सूतक लगने की परंपरा निभाई जाती है। रंगोत्सव की सुबह महिलाएं घर की साफ-सफाई करती हैं। पुराने झाड़ू और मिट्टी के बर्तन, घड़े को घर से बाहर निकाला जाता है। रात का बचा भोजन गोमाता को खिला दिया जाता है। पुराने झाड़ू और मिट्टी के घड़े लेकर पुरुष गांव के बाहर देव स्थान पर जाते हैं। गांव के पंडा द्वारा किसी चीज को बाहर फेंकने की रस्म निभाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि सूतक में घर की झाडू या अनुपयोगी सामग्री बाहर कर देने से खुशियां आती हैं। नकारात्मक दूर होती है। नदी, तालाब में स्नान करके घर आते है।

जनेऊ, मौलीधागा बदलकर घर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करते हैं। मध्यान्ह में गांव के बाहर जली हुई होलिका की राख उड़ाकर होली खेलते हैं। इसलिए इसे धुलेंड़ी कहते हैं। सूतक का पालन हर हिंदुओं को करना चाहिए। समता कालाेनी के सिंधी पंचायत भवन, संजय गांधी चौक स्टेशन रोड के अरिहंत कांप्लेक्स, सदरबाजार के नाहटा मार्केट में युवा-बुजुर्ग चंग, नगाड़े की धुन पर फाग गीतों की मिठास घोल रहे हैं। रायपुर सराफा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हरख मालू ने बताया कि होली से एक दिन पहले मंगलवार की दोपहर से ही होली का रंग छाने लगेगा। नाहटा मार्केट में शाम को सेठ नाथूराम की पूजा-अर्चना करके फाग गीतों की महफिल सजेगी।

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