19 को आयोजित होना था CRPF Day परेड, अमित शाह को लेनी थी सलामी, अब 25 मार्च को होगा यह आयोजन

जगदलपुर,03 मार्च । केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ का 84वां स्थापना दिवस यानी ‘सीआरपीएफ डे’, जो 19 मार्च को नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले बस्तर क्षेत्र के जगदलपुर मुख्यालय पर आयोजित होना था, उसे स्थगित कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ‘सीआरपीएफ डे’ परेड की सलामी लेनी थी। आजादी के बाद यह पहला अवसर है, जब माओवादियों के प्रभाव वाले क्षेत्र में बल का स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जा रहा है। अब यह आयोजन 25 मार्च को जगदलपुर में ही होगा। पिछले दिनों सुकमा के थाना जगरगुंडा में हुए नक्सलियों के एक बड़े हमले में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड ‘डीआरजी’ के तीन जवान शहीद हो गए थे। आयोजन स्थल की सुरक्षा में कई एजेंसियां लगी हैं। सीआरपीएफ-डे को 19 मार्च की जगह 25 मार्च को आयोजित करने के पीछे कई तरह के प्रशासनिक कारणों का हवाला दिया गया है। छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार व दूसरे राज्यों में नक्सल का फन कुचलने में सीआरपीएफ की बड़ी भूमिका रही है।

गत वर्ष लिया गया था ‘सीआरपीएफ डे’ मनाने का निर्णय   

गत वर्ष से सेना की तर्ज पर हर वर्ष 19 मार्च को ‘सीआरपीएफ डे’ आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। हालांकि दूसरे अर्धसैनिक बलों में अभी ‘डे’ मनाने का चलन नहीं है। इन बलों में ‘स्थापना दिवस’ मनाने की परंपरा चल रही है। सीआरपीएफ मुख्यालय ने इसके पीछे यह तर्क दिया था कि सरदार पटेल ने 1950 में 19 मार्च के दिन ही सीआरपीएफ को झंडा यानी प्रेजीडेंट कलर्स प्रदान किया था। सीआरपीएफ, देश का इकलौता ऐसा अर्धसैनिक बल है, जिसकी स्थापना आजादी से पहले हो गई थी। इस बल के जांबाजों ने युद्ध के मोर्चे पर चीन और पाकिस्तान की सेना को कड़ी टक्कर दी है। जिस तरह से ‘आर्मी डे’ पर भव्य परेड होती है, उसी तरह हर साल 19 मार्च को ‘सीआरपीएफ डे परेड’ आयोजित करने की बात कही गई थी। सीआरपीएफ के स्थापना दिवस को लेकर कई बार अलग-अलग तिथियां निर्धारित की जाती रही हैं। अगर सभी परिस्थितियां ठीक रहतीं, तो 27 जुलाई को स्थापना दिवस मनाया जाता था। अन्यथा मौसम ठीक होने या मुख्य अतिथि की उपलब्धता के आधार पर इस तिथि को आगे-पीछे कर दिया जाता था।

27 जुलाई को अस्तित्व में आया था ये बल  

सीआरपीएफ, 27 जुलाई 1939 को क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में अस्तित्व में आया था। उसके बाद 28 दिसंबर 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के लागू होने पर इसे ‘केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल’ का दर्जा प्रदान किया गया। आजादी के बाद 28 दिसंबर, 1949 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल का नाम ‘केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल’ रखा गया था। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने नव स्वतंत्र राष्ट्र की बदलती जरूरतों के अनुसार इस बल के लिए एक बहु आयामी भूमिका की कल्पना की थी। इस तरह से सीआरपीएफ में 19 मार्च, 27 जुलाई व 28 दिसंबर में से किसी एक दिन स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जाता था। बल मुख्यालय के शीर्ष अधिकारियों और फील्ड फॉर्मेशन के आला अफसरों से बातचीत कर एवं बल की सभी यूनिटों से सुझाव लेकर 19 मार्च की तारीख तय कर दी गई है। इसे ‘सीआरपीएफ डे’ का नाम दिया गया है।

लद्दाख से लेकर पाकिस्तान बॉर्डर तक दुश्मन को दिया जवाब

भारत संघ में रियासतों के एकीकरण के दौरान इस बल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत के हॉट स्प्रिंग (लदाख) पर पहली बार 21 अक्तूबर 1959 को चीनी हमले को केरिपुबल ने नाकाम किया। बल के दस जवानों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी शहादत की याद में देश भर में हर साल 21 अक्तूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान एक बार फिर बल ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना को सहायता प्रदान की। इस आक्रमण के दौरान केरिपुबल के आठ जवान शहीद हुए थे। वर्ष 1965 में सीआरपीएफ ने कच्छ के रण में सरहद पर पाकिस्तान के नापाक मनसूबों को धराशाही कर दिया था। सीआरपीएफ की चार कंपनियों ने पाकिस्तान की 51वीं इंफेंट्री ब्रिगेड के 3500 जवानों का मुकाबला कर उन्हें पीछे धकेल दिया। पाकिस्तान के 34 सैनिक मारे गए। सीआरपीएफ के छह जवानों ने अपनी शहादत दी थी। बल के अदम्य शौर्य और रण कौशल के चलते हर साल नौ अप्रैल को देश में शौर्य दिवस मनाया जाता है।

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