जांजगीर-चांपा, 23 फरवरी । छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में ऐसा दिव्य कुंड है जिसका पानी पीने मात्र से लोगों की हर बीमारी दूर हो जाती है. इस मान्यता के कारण दूर-दूर से लोग इस कुंड का जल ग्रहण के लिए यहां पहुंचते हैं. जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर अकलतरा के पास दलहा पहाड़ है. माना जाता है कि सतनामी समाज के संस्थापक गुरु घासीदास ने यहीं पर तपस्या की थी और दलहापोड़ी गांव में उन्होंने अपना अंतिम उपदेश दिया था. दलहा पहाड़ की चोटी पर प्रसिद्व सूर्यकुंड है. इस पहाड़ पर नागपंचमी के दिन नाग की पूजा होता है और मेला लगता है.
अकलतरा तहसील के दलहापोड़ी गांव स्थित दलहा पहाड़ अपनी धार्मिक मान्यताओं के कारण प्रसिद्ध है. लगभग 700 मीटर ऊंचे इस पहाड़ की ऊपरी चोटी पर पहुंचने और ऊपर से चारों ओर का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. दलहा पहाड़ में विशेष रूप से महाशिवरात्रि और नागपंचमी के दिन मेला लगता है. यहां मुनि का आश्रम और सूर्यकुंड विशेष रूप से प्रसिद्ध है.
यहां के पंडित उमाशंकर गुरुद्वान के मुताबिक, ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन कुंड का पानी पीने से लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहता है. किसी भी प्रकार की बीमारी हो, तो यहां का पानी पीने से बीमारी कट जाती है.
खतरनाक है दलहा पहाड़ की चढ़ाई
दलहा पहाड़ के चारों ओर कोटगढ़, पचरी, पंडरिया व पोड़ी गांव हैं. यहां घने जंगल के अंदर से होकर जब लोग पहाड़ की ओर बढ़ते हैं तो उन्हें कंटीले पौधों और पथरीली पहाड़ से होकर गुजरना पड़ता है. इस जंगल में जहरीले सांप भी रहते हैं. लेकिन, इसके बावजूद लोग इस यात्रा का मोह नहीं छोड़ते.
ज्वालामुखी उद्गार से बना है दलहा पहाड़
दलहा पहाड़ भूगार्भिक क्रिया यानी ज्वालामुखी उद्गार से निर्मित हुआ है. जांजगीर-चांपा क्षेत्र पठारीय इलाका है और यहां चूना-पत्थर भारी मात्रा में पाया जाता है. यही कारण है कि दलहा पहाड़ की चट्टानें भी चूना पत्थर की हैं.
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