Kenapara Eco-Tourism : छत्तीसगढ़ में बंद पड़ी कोयला खदान ने लिया एक आकर्षक पर्यटन स्थल का रूप

छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक सौन्दर्य, मनमोहक झरनों, गुफाओं और प्राचीन मंदिरों को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन, विशेष रूप से कोयला, के भंडार भी मौजूद हैं। लेकिन जब किसी खदान से पूरा कोयला निकाल लिया जाता है तब यह प्रश्न उठता है कि उस जगह को पुनर्विकसित कैसे किया जाए।   

साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) और छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से राज्य की एकबंद पड़ी कोयला खदान वर्तमान में एकईको-पर्यटन स्थल के रूप में उभर रही है। इससे एक ओर जहां स्थानीय लोगों को सैर-सपाटे के लिए एक नया स्थल मिला है वहीं गरीबों, मुख्य रूप से बिश्रामपुर ओपन कास्ट माइन क्षेत्र के आदिवासी लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं।

1472 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले, बिश्रामपुर क्षेत्र की 10 खदानों ने वर्ष 1961 से अपने संचालन के 57 वर्षों के दौरान 387 लाख टन से अधिक कोयले का योगदान दिया है। इससे राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा में प्रमुख योगदान देने वाले राज्यों में से एक के रूप में छत्तीसगढ़ की विरासत को मजबूती मिली है।

बिश्रामपुर की खदान नंबर 6 कोएक ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के पीछे दो प्रमुख कारण थे। पहला इसकी अनूठी भौतिक परिस्थितिऔर दूसरा राष्ट्रीय राजमार्ग-43 से इसकी आसान कनेक्टिविटी।तीन दशकों से बंद पड़ी इस खदान की सूरत तब बदल गई जब इसे एक आकर्षक जल निकाय के रूप में विकसित किया गया। 1.75 किमी लंबाई और लगभग 39 फीट कीगहराई के साथ 10.57 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैले इस जल निकाय की सुंदरता देखते ही बनती है।

पर्यटन और आजीविका कोबढ़ावा देने में इस ईको-सिस्टम की भूमिका को भाँपते हुए, छत्तीसगढ़ के मत्स्य पालन विभाग ने मछली पालन और नौका विहार के लिए यहाँ साइट विकसित की। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) द्वारा1.97 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई और 2018-19  के दौरान साइट को विकसित करने के लिए राज्य प्राधिकरण को सौंप दिया गया। दिसंबर 2018 में शुरू हुई यह परियोजना आठ महीने की छोटी अवधि में ही पूरी हो गई।

आसपास की हरियाली के साथ इस सुंदर और स्वच्छ जल निकाय के माध्यम से जयनगर, केनापारा, कुंजनगर और बिश्रामपुर के आसपास के गांवों के निवासियों के लिए आय के अतिरिक्त स्रोत प्रदान करने की अपार संभावना है। पहले चरण में मछली पालन, नौका विहार सुविधा और एक फ्लोटिंग(तैरता हुआ) रेस्तरां आदि स्थानीय लोगों, विशेषकर समाज के पिछड़े और निम्न-आय वर्ग के लोगों के लिए के लिए एक स्थायी आजीविका का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। साउथईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की खदान बंद करने की योजना के बजट से निर्मित आकर्षक फ्लोटिंग रेस्तरां इस नवीन ईको-पर्यटन परियोजना के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।

मछली पालन के लिए महामाया मत्स्य पालन सोसायटी नामक स्थानीय ग्रामीणों की एक सहकारी समिति और नौका विहार सुविधा का प्रबंधन करने के लिए महिला संगठन शिव शक्ति महिला ग्राम संगठन का गठन किया गया है। इन संगठनोंके सदस्यों की क्षमता निर्माण और कौशल विकास के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है। नौका विहार के लिए 186 गरीब परिवारों के महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को चुना गया है। इस गंतव्य पर प्रतिदिन सौ से अधिक पर्यटक आते हैं और संख्या बढ़ती जा रही है।

मत्स्य पालन से जुड़े गरीब आदिवासी परिवारआय के इस स्रोत से लाभान्वित हुए हैं। वर्तमान में मछली पालन के लिए 32 पिंजरों का उपयोग किया जा रहा है। बैटरी और सुरक्षा जाल के साथ प्रत्येक पिंजरे सेलगभग दो टन मछली पकड़ने में सफलता मिल रही है। कोयला खदान पर्यटन के लिए अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए, दो मोटर नौकाओं द्वारा सेवा, फ्लोटिंग राफ्ट, किसान कॉटेज, बैठने का कमरा और स्टोर रूम जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

भविष्य की योजना साइट को ईको-एथनिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की है जिसमें भूनिर्माण, नवीनतम जल खेलों को बढ़ावा देना, ठहरने के लिए कॉटेज और आगंतुकों के लिए मनोरंजन को आगे बढ़ाने के लिए एक सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण शामिल होगा।

जैसा कि हम जानते हैं कि ओपन कट खनन किसी भी जमीन के प्राकृतिक रूप को बहुत प्रभावित करता है और यह काफी हद तक अपरिवर्तनीय है। किसी भी जमीन की सूरत में खनन के पहले और खनन के  बाद बहुत बदलाव आ जाता है। खनन के बाद भूमि को पुनर्विकसित करने का प्रयास होना बहुत जरूरी है जिससे खनन के बाद भी भूमि की उपयोगिता और उसका प्राकृतिक सौन्दर्य बना रहे। संरक्षण और सुरक्षा के माध्यम से पर्यावरणीय सुधार के अलावा,किसी भी भूमि से कोयला निकाले जाने के बाद भी उसमें आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की क्षमता होती है और यह समुदाय को सामाजिक लाभ भी प्रदान कर सकती है।

केनापारा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी   जिला :  सूरजपुर(केनापारातेलाई कछार गाँव के अंतर्गत आता है) रायपुर से दूरी :  346 किलोमीटर (सड़क मार्ग द्वारा)  निकटतम एयरपोर्ट : स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट, रायपुर  निकटतम रेलवे स्टेशन : बिश्रामपुर बिश्रामपुरकेनापारा की दूरी  : 5 किलोमीटर से कम निकटतम जाना माना पर्यटन स्थल : मैनपात, अमृतधारा जलप्रपात

आशा है देश के कोयला सेक्टर के खान बंदी/पुनर्ग्रहण कार्यक्रम के अंतर्गत एसईसीएल की केनापारा इको-पर्यटन परियोजना कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की अन्य सहायक कंपनियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। इस तरह की पर्यावरण-हितैषी पहल हमारे नाजुक ईको-सिस्टम को बहाल करने और समाज में  हाशिए पर पड़े वर्गों को आजीविका के अवसर प्रदान करने में मील का पत्थर साबित होगी।