दुर्ग ,20 फरवरी । सामायिक स्वाध्याय के प्रबल प्रेरक जैन संत शीतल मुनि जी महाराज का आज 53 वां दीक्षा दिवस जय आनंद मधुकर रतन भवन दुर्ग के सभा गृह में मनाया गया। इस दौरान 250 से अधिक साधकों ने आज 5 सामायिक कर 11 सौ से अधिक समायिक की भेंट दीक्षा दिवस पर अपने गुरुदेव शीतल मुनि को भेंट स्वरूप दी। 19 जनवरी सन 1948 में जन्मे शीतल मुनि सन 1970 को 22 वर्ष की उम्र में दीक्षा धारण कर संयम जीवन प्रारंभ किया और आज उन्होंने 53 वर्ष पूर्ण किए। 53 वर्ष के इस संयमी जीवन में शीतल मुनि जी को कुशल सेवा मूर्ति महात्मा महास्थविर, कठोर तप साधक आडाआसन त्यागी कुशल सेवा मूर्ति जैसी पदवी से भी अलंकृत किया जा चुका है।
पानी जमा देने वाली बर्फीली शीतलहर ही क्यों ना हो केवल एक सादा चादर और चोलदुपप्टा रखकर जीवन जीना आड़ा आसन त्यागी ताउम्र कभी भी लेट कर नहीं सोना अर्थात खड़े-खड़े या बैठे-बैठे निद्रा लेना प्रतिदिन 12 से 2 बजे तक प्रखर सूर्य की ताप लेना इनके जीवन का हिस्सा हे प्रतिदिन का कार्य है। कडक़ ठंड हो या नौतपा वाली गर्मी हो हर समय एक ही क्रिया में हमेशा लीन रहते हैं।
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प्रात: 6.30 श्रमण संघ परिवार के सदस्य प्रत्येक रविवार को सामायिक स्वाध्याय की साधना प्रारंभ की जिसमें बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
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