नई दिल्ली ,19 फरवरी । सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली कल आर्बिट्रेशन वीकेंड समारोह में शामिल हुई थी। देश में कानून व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए उन्होंने देश में इमरजेंसी आर्बिट्रेशन लाने की इच्छा जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट की जज हिमा कोहली ने कहा है कि इमरजेंसी आर्बिट्रेशन की देश में काफी संभावनाएं हैं और विधायिका को इसे बढ़ावा देने और रेगुलेट करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
गिनवाए इमरजेंसी आर्बिट्रेशन के फायदे
हिमा कोहली ने कहा कि इमरजेंसी आर्बिट्रेशन (ईए) विवादों के जल्द से जल्द निपटारे के लिए और कुशल समाधान प्रदान करने के साथ साथ फैसलों में लगने वाले लंबे समय को कम करने में मदद कर सकती है। बता दें कि इमरजेंसी आर्बिट्रेशन एक ऐसी व्यवस्था है जो किसी विवादग्रस्त पक्ष को तत्काल अंतरिम राहत के लिए आवेदन करने की अनुमति देती है। उन्होंने कहा कि लेकिन लागू नियमों और प्रक्रियाओं में स्पष्टता और स्थिरता और हितधारकों के बीच जागरूकता की कमी से संबंधित मुद्दों का समाधान किया जाना बाकी है।
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इमरजेंसी आर्बिट्रेशन के लिए कानून बनाए विधायिका
जस्टिस हिमा कोहली ने यह भी कहा कि ईए के पास भारत में चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक विशाल क्षमता है। सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह भारत में ईए को कानून बनाने, बढ़ावा देने और विनियमित करने के लिए कदम उठाए। इसमें मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में संशोधन, मानक प्रक्रियाओं की शुरूआत, स्थापना शामिल हो सकती है। तो वहीं उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को एक समर्पित ईए ट्रिब्यूनल, ईए के लाभों के बारे में जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए।
दिल्ली इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर द्वारा आयोजित दिल्ली आर्बिट्रेशन वीकेंड गुरुवार से दिल्ली हाई कोर्ट न्यायालय में चल रहा है और रविवार को समाप्त होगा। अपने एक सत्र के दौरान न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि इमरजेंसी आर्बिट्रेशन से भारत में संस्थागत मध्यस्थता के विकास में मदद मिलेगी, जो पहले से ही अधिक बोझ वाले भारतीय न्यायालयों के सामने आने वाले ‘डोकेट विस्फोट’ को कम करने में मदद करेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इमरजेंसी आर्बिट्रेशन का भारत में व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन उम्मीद है कि भविष्य में इसे और अधिक स्वीकृति मिलेगी।
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